जिसे भाजपा सरकार बनने के बाद समाप्त कर डाइंग केडर घोषित कर दिया था। ऐसे में 1 अप्रेल से शुरू हो रहे वित्तीय वर्ष में वर्ष 2025-26 की व्याख्याताओं की डीपीसी में उन्हें अगला पर वरिष्ठ व्याख्याता का मिल सकेगा। शिक्षा ग्रुप 1 के उप शासन सचिव ओपी वर्मा ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को राजस्थान शिक्षा राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियमों में संशोधन के लिए प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं।
पदोन्नति से ही भरेंगे वरिष्ठ व्याख्याता के पद
नियमों संशोधन के बाद शिक्षा विभाग में कार्यरत व्याख्याताओं की अगली पदोन्नति वरिष्ठ व्याख्याता के पदों पर होगी। इनका वेतन निर्धारण एल 14 में होगा। ये सभी पद शत प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाएंगे। यानी इन पदों पर सीधी भर्ती नहीं होगी। वरिष्ठ व्याख्याता के पदों पर तीन वर्ष व्याख्याता के पद पर कार्यरत कार्मिक पदोन्नति के पात्र होंगे। इसके बाद वरिष्ठ व्याख्याता की पदोन्नति प्राचार्य के रूप में होगी।
शिक्षकों को पदों का नुकसान
पहले अप्रेल 2022 में माध्यमिक विद्यालयों में हैडमास्टर के पद समाप्त कर उप प्राचार्य का पद सृजित कर शतप्रतिशत पदोन्नति से लेने का प्रावधान किया। इससे सीधी भर्ती से आने वाले 50 फीसदी युवा शिक्षकों का रास्ता रोका गया। अब उप प्राचार्य के 24 हजार पद को डाइंग कैडर घोषित कर वरिष्ठ व्याख्याता का पद सृजित किया है। परन्तु स्कूलों में मौजूदा तीन व्याख्याताओं के पदों में से ही एक की कटौती कर एक वरिष्ठ व्याख्याता दिया जाएगा। इस तरह व्याख्याताओं के भी 12 हजार 421 पद कम हो जाएंगे। इससे किसी भी वर्ग को फायदा नहीं है। रिक्त होने पर प्राचार्य का चार्ज
उप प्राचार्य पद समाप्त होने से भविष्य में प्राचार्य का पद रिक्त वाले स्कूल में वरिष्ठ व्याख्याता को प्राचार्य का अतिरिक्त कार्यभार दिया जाएगा। उसे विषय के शिक्षण के साथ स्कूल की प्रशासनिक व्यवस्थाओं को भी देखना होगा।
टॉपिक एक्सपर्ट….
उप प्राचार्य पद को डाइंग कर वरिष्ठ व्याख्याता का पद सृजन नहीं होना चाहिए था, इसका संगठन विरोध करता है। व्याख्याता की पदोन्नति पूर्व की भांति व्याख्याता से प्राचार्य पद पर होनी चाहिए, फिर भी यदि राज्य सरकार वरिष्ठ व्याख्याता का सृजन करती है तो विषय विशेष की बजाय सामान्य का एल 14 की बजाय एल 15 का सृजित किया जाए। पहले वरिष्ठ व्याख्याता का पद सिर्फ डाइट में था। उपेन्द्र शर्मा, स्कूली शिक्षा मामलों के जानकार