ऐसे समझें फायदा वरिष्ठ श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रहलाद दायमा ने बताया कि धूलकण और प्रदूषणकारी तत्व कम होने से वातावरण में ताजगी और नमी बढ़ी है। जिसका नतीजा है कि पहले जिन लोगों को धूल और प्रदूषण से सांस लेने में तकलीफ होती थी, अब वे खुलकर सुबह-शाम टहल पा रहे हैं। लगातार बारिश से सड़कों की धूल बैठी, जिससे पीएम-10 और पीएम-2.5 कणों में गिरावट आई है। वहीं गर्मी और उमस के कारण होने वाली एलर्जी, दमा, आंखों में जलन के रोगी कम हुए हैं।
प्रदूषण की स्थिति पांच जुलाई-39 एक्यूआइ छह जुलाई-40 एक्यूआइ सात जुलाई-62 एक्यूआइ आठ जुलाई-53 एक्यूआइ नौ जुलाई-58 एक्यूआइ दस जुलाई-60 एक्यूआइ 11 जुलाई-49 एक्यूआइ 12 जुलाई-66 एक्यूआइ
13 जुलाई-68 एक्यूआइ 14 जुलाई- 50 एक्यूआइ 15 जुलाई-53 एक्यूआइ 16 जुलाई-64 एक्यूआइ 17 जुलाई-69 एक्यूआइ बारिश के कारण कमी आई है… बारिश के मौसम में हवा में नमी बढ़ जाती है। धूलकण नीचे बैठने के कारण एलर्जी के कारण होने वाली सांस की बीमारियां कम हुई है। ओपीडी में पहले की तुलना में मरीजों की संख्या में कमी आई है।
डॉ जी एल शर्मा, विभागाध्यक्ष श्वसन रोग विभाग मेडिकल कॉलेज