प्रदेश के इन शहरों के विकास पर औसत तौर पर 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का प्रस्ताव है। सैटेलाइट टाउन के जरिए इन शहरों में सड़क, ड्रेनेज, सीवरेज और परिवहन कनेक्टिविटी पर सबसे ज्यादा फोकस किया जाएगा। इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनोमिक अफेयर्स के पास भेजा जाएगा। दरअसल, राज्य सरकार अनुमानित खर्च में से 70 प्रतिशत राशि का लोन लेना चाह रही है।
पिछले दिनों यूडीएच मंत्री ने भी दावा किया था कि सैटेलाइट सिटी के विजन को छोटे शहरों तक भी लेकर जाएंगे। इससे वहां भी विकास की नई राहें खुल सके। इस बीच जिलेवासियों की चिन्ता भी है कि जब विभाग की ओर से 17 महीने से अटके मास्टर प्लान को ही हरी झंडी नहीं दी जा रही तो विकास के इन बड़े प्रोजेक्ट कैसे रफ्तार मिलेगी।
सैटेलाइट टाउन का डवलपमेंट इसलिए है जरूरी…
शहरों पर आबादी का बोझ कम करने के लिए सैटेलाइट टाउन का प्लान तैयार हुआ है। इन्हें छोटे शहर के रूप में विकसित करने का प्लान है। स्थानीय लोगों को रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन, बड़े पार्क, शॉपिंग सेंटर, मॉल्स व अन्य जुड़ी सुविधा वहीं मिले। स्थानीय लोगों को व्यापार, चिकित्सा, पढ़ाई के लिए शहरों की तरफ मुंह नहीं ताकना पड़े। सरकारें मास्टर प्लान में सेटेलाइट टाउन शामिल तो करती गईं, लेकिन आज तक डवलपमेंट नहीं हो पाया है।
मास्टर प्लान को लेकर कांग्रेस ने मांगा जवाब
शिक्षानगरी के अटके मास्टर प्लान को लेकर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा को निशाने पर लिया है। उन्होंने राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित समाचार सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा कि जब यूडीएच मंत्री के गृह जिले का यह हाल है तो प्रदेश का अंदाजा आप लगा सकते है। उन्होंने लिखा कि पर्ची सरकार से प्रदेश में प्रगति और परिस्थिति परिवर्तन की अपेक्षा बेकार है।
शहरों में इस तरह डवलपमेंट का प्लान…
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर 24 घंटे पेयजल सप्लाई सीवरेज सुविधा उपलब्ध कराने, इंडस्ट्रीयल और कृषि के लिए परिशोधित पानी की उपलब्धता ठोस कचरा प्रबंधन को प्रभावी तरीके से लागू करते हुए जीरो वेस्ट मॉडल पर काम होगा बायो मेडिकल अपशिष्ट प्रबंधन और हानिकारक अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करेंगे विरासत को सहेजने, मनोरंजन सुविधाएं विकसित करने, सौन्दर्यन,चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने पर काम रोड लाइट के लिए सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने, इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना
ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी की दिशा में काम ट्रैफिक जाम से राहत दिलाने, सड़कों की री-मॉडलिंग, पार्किंग स्थलों का निर्माण बस स्टैंड डवलपमेंट, सिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम और इंटर सिटी ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सुधार
सीकर शहर: सड़क व परिवहन कनेक्टिविटी पर रहेगा जोर
सीकर शहर का दायरा लगातार बढ़ रहा है। लगातार विद्यार्थियों की ओर से पढ़ाई के लिए सीकर शहर को चुनने की वजह से आबादी भी बढ़ रही है। ऐसे में आस-पड़ौस के गांव सेटेलाइट टाउन के तौर पर विकसित तो हो रहे है, लेकिन वहां सुविधाओं का अभाव है। ऐसे में सीकर शहर में पहले चरण में इन सेटेलाइट टाउन तक सड़क नेटवर्क को मजबूत किया जाएगा। इसके बाद परिवहन सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। एक्सपर्ट का कहना है कि शिक्षानगरी के 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांव-ढाणी विकसित होते है तो अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज मिल सकेगा।
श्रीमाधोपुर: औद्योगिक जोन के लिहाज से विकास, ताकि और आ सके निवेश
श्रीमाधोपुर इलाका लगातार औद्योगिक जोन के हिसाब से भी डवलप हो रहा है। देश व प्रदेश की राजधानी के नजदीक होने की वजह से यहां उद्योगों की काफी संभावना है। ऐसे में सरकार की ओर से यहां भी नजदीकी ग्राम पंचायतों का विकास कराया जाएगा। सरकार की मंशा है कि जब ग्राम पंचायत स्तर तक बेहतर सुविधाएं होगी तो निवेश भी बढ़ सकेगा।
खाटूश्यामजी व रींगस: सीवरेज व परिवहन पर फोकस
खाटूश्यामजी में लगातार धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा है। खाटूश्यामजी की वजह से रींगस व आसपास के इलाकों में भी होटल व धर्मशालाएं लगातार खुल रही है। सरकार की ओर से इन खाटूश्यामजी व रींगस इलाके की छोटी ग्राम पंचायों को शहरी सीमा के दायरे में लेकर वहां सड़क, सीवरेज व परिवहन की सुविधाएं बढ़ाने पर फोकस है।