मार्ग का अधिकारियों के साथ जायजा लेते सांसद चौधरी। फोटो- पत्रिका
राजस्थान के पर्यटन स्थल माउंट आबू में शीघ्र ही माउंट आबू-गुलाबगंज मार्ग अस्तित्व में आएगा, जिससे पर्यटकों, श्रद्धालुओं व आमजन सहित हजारों लोगों को राहत मिलेगी। केन्द्र सरकार ने हाल ही इस सड़क मार्ग की स्वीकृति प्रदान की थी। यह सड़क 205 करोड़ की लागत से बनेगी। सांसद लुम्बाराम चौधरी ने अधिकारियों के साथ इस मार्ग का अवलोकन कर दिशा-निर्देश दिए। इस सड़क की वर्षों से मांग की जा रही थी, जिसे अब हरी झंडी मिली है।
उल्लेखनीय है कि माउंट आबू को जोड़ने वाला एकमात्र आबूरोड-माउंट आबू मार्ग बारिश में कई बार चट्टानें खिसकने से अवरुद्ध हो जाता है, जिससे पर्यटक फंस जाते हैं। इसलिए वैकल्पिक मार्ग के तौर पर माउंट आबू-गुलाबगंज सड़क की मांग की जा रही थी। ताकि आपातकालीन परिस्थितियों में नागरिकों व पर्यटकों को राहत मिल सके। अवलोकन के बाद सांसद ने सर्किट हाउस में मीडियाकर्मियों से मुखातिब होते हुए कहा कि यह सड़क मार्ग शीघ्र ही अस्तित्व में आएगा।
समस्या का होगा समाधान
सांसद ने कहा कि मानसूनी बारिश के दौरान पहाड़ों से चट्टानें गिरने से माउंट आबू-आबूरोड मार्ग बंद हो जाता है, जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक ही मार्ग होने से कई बार पर्यटक फंस जाते थे। इसका शीघ्र ही गुलाबगंज माउंट आबू मार्ग अस्तित्व में आने से समस्या का समाधान होगा।
उन्होंने कहा कि इस मार्ग का संबंधित अधिकारियों, कार्मिकों व भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ जाकर मौका मुआयना किया था। अधिकारियों से मार्ग के शीघ्र अस्तित्व में लाने पर चर्चा की गई। इस कार्य में जो भी अड़चनें आएंगी, उसे तत्काल में ध्यान में लाने को कहा है। ताकि कार्य में किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो।
70 के दशक में किया था ढांचा तैयार
सांसद चौधरी ने बताया कि करीब 70 के दशक में गुलाबगंज से माउंट आबू तक सीधी सड़क बनाने के लिए सर्वे करा एक करोड़ 34 लाख रुपए की योजना बनाकर निर्माण कार्य शुरू कर आधारभूत ढांचा तैयार किया था। गुलाबगंज से करीब 10 किलोमीटर डामरीकरण कर पक्का मार्ग बना हुआ है। शेष माउंट आबू तक सुव्यवस्थित कर वाहनों की आवाजाही होने लगी थी। अब फिर से इस मार्ग पर वाहन दौड़ने लगेंगे।
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नहीं ली सुध, क्षतिग्रस्त हो गया
इस मार्ग के माउंट आबू वाले छोर के तालाब पर बांध बनाकर 1986 में अकाल राहत कार्यों के दौरान मिनी नक्की झील के रूप में विकसित किया। सड़क का रुख प्रस्तावित झील के किनारे से मोड़ते हुए देलवाड़ा-गुरुशिखर मार्ग पर जोड़ने का निर्णय किया।
इससे इस मार्ग की आवाजाही बंद हो गई। इसके बाद यह मार्ग क्षतिग्रस्त होने लगा। मानसून के दौरान नदी के रूप में परिवर्तित हुई सड़क की किसी ने सुध नहीं ली। न ही बांध बनने से अवरुद्ध हुई सड़क को तालाब के किनारे से जोड़ने का प्रयास किया, जिससे सड़क निरंतर क्षतिग्रस्त होती गई।