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सिरोही

रेलवे ने रोड अंडर ब्रिज के लिए कर दी 2 करोड़ से अधिक की डिमांड, राजस्थान की इस पंचायत ने हाथ खड़े किए

रेलवे ने रोड अंडर ब्रिज के लिए दो करोड़ से अधिक राशि जमा करने का पत्र भेज दिया। पंचायत के पास इतना फंड नहीं होने के कारण पंचायत ने हाथ खड़े कर दिए। राज्य सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।

सिरोहीDec 21, 2024 / 02:42 pm

Santosh Trivedi

morthala news
Sirohi News: आबूरोड शहर से करीब पांच किलोमीटर दूर मोरथला गांव के करीब 150 लोग आज भी आवागमन व पेयजल समस्या से जूझ रहे हैं। पंचायत प्रशासन ने आवागमन समस्या के निवारण के लिए करीब दस साल पहले रेलवे विभाग व जिला कलक्टर को पत्र लिखकर रेलवे रोड अंडर ब्रिज बनाने के लिए कार्रवाई का आग्रह किया था। इस पर रेलवे ने रोड अंडर ब्रिज के लिए दो करोड़ से अधिक राशि जमा करने का पत्र भेज दिया। पंचायत के पास इतना फंड नहीं होने के कारण पंचायत ने हाथ खड़े कर दिए। राज्य सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।

ऐसी है मोरथला की बसावट व समस्या

रेल पटरियों के कारण मोरथला गांव दो हिस्सों में बंटा हुआ है। गांव का एक भाग पूर्व दिशा में रेलवे विभाग व डीएफसीएल की रेल लाइन के बीच व दूसरा भाग पूर्व दिशा में है बसा है। पीने के पानी व आवागमन की समस्या रेल पटरी के पूर्व में रह रहे करीब 150 ग्रामीणों की है। इस भाग में आवागमन का मुख्य रास्ता कच्चा है।
बस्ती के लोग पंचायत मुख्यालय के पास अंडर ब्रिज व तरतोली गांव के निकट रेलवे ब्रिज के नीचे से आते-जाते हैं। अंडर ब्रिज की ऊंचाई कम होने से बड़े चौपहिया वाहन नहीं निकल सकते। मानसून में ज्यादा बारिश होने पर इन ब्रिज के रास्तों पर आवागमन अवरुद्ध हो जाता है। तब ग्रामीणों को पटरी पार करनी पड़ती है, जो गैर कानूनी तो है पर उनकी विवशता है। अब तो पटरी पार करना भी संभव नहीं रहा, क्योंकि रेलवे ने पटरी के दोनों तरफ फेसिंग करवा दी है।

पानी के लिए हैंडपंप पर निर्भर

पूर्व दिशा में बसी बस्ती के लोगों को पर्याप्त जलापूर्ति के लिए जलदाय विभाग ने रेलवे अंडरब्रिज से पानी की पाइपलाइन बिछानी चाही, लेकिन, रेलवे विभाग से अनुमति नहीं मिली। बस्ती में पानी की व्यवस्था के लिए तीन बार बोरिंग खुदवाए गए, जिनमें एक बूंद पानी नहीं निकला।
इस पर एक हैंडपंप पर मोटर लगवाकर पानी की व्यवस्था की गई, लेकिन वो भी पर्याप्त नहीं है। जलापूर्ति के अतिरिक्त स्त्रोत के रूप में स्थापित सोलर सिस्टम भी महीनों से बंद पड़ा है। ऐसी स्थिति में बस्ती के अधिकांश लोग पानी के लिए हैंडपंपों पर निर्भर हैं।

पंचायत ने किए प्रयास

पूर्व सरपंच लक्ष्मणराम राणा ने बताया कि उन्होंने पटरी की दूसरी तरफ बसे गांव के लोगों की आवागमन सुविधा के लिए रेलवे विभाग व कलक्टर से रोड अंडर ब्रिज की मांग की थी। ग्रामीणों ने भी वर्ष 2013 में रेलवे महाप्रबंधक को पत्र भेजा था।
तत्कालीन कलक्टर ने 8 जुलाई, 2013 को ब्रिज संख्या 790 के पास रोड अंडर ब्रिज बनाने के संबंध में तकमीना तैयार कर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिरोही को भिजवाने का उल्लेख करते हुए रेलवे विभाग को पत्र भेजा था।
इस पर रेलवे विभाग ने 24 दिसम्बर, 2013 को ब्रिज बनाने की लागत का तकमीना तैयार कर कलक्टर को भिजवाया था। जिसमें उक्त कार्य डिपोजिट टर्म पर कराया जाता है, तो इससे पूर्व करार हस्ताक्षर व आवश्यक लागत रेलवे में जमा कराने का उल्लेख किया था।
रेलवे अजमेर मंडल कार्यालय की ओर से 24 दिसम्बर, 2015 को ग्राम पंचायत को भेजे पत्र में राज्य सरकार द्वारा आवश्यक राशि जमा करवाने व करार पर हस्ताक्षर करने के बाद रोड अंडरब्रिज निर्माण कार्य शुरू करने का उल्लेख किया गया था। उस समय लागत राशि 2 करोड़ 11 लाख 64 हजार रुपए थी।
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इनका कहना हैं…

पंचायत रेल पटरी के पूर्व की तरफ बसे ग्रामीणों के आवागमन व पानी की समस्या के निवारण के लिए पूरा प्रयास कर रही है। रोड अंडर ब्रिज के लिए प्रयास किए थे। लेकिन, पंचायत के पास इतना फंड नहीं कि वो रेलवे में जमा करवा सके। इस बारे में राज्य सरकार से आग्रह करेंगे।
चंदा देवी, सरपंच, ग्राम पंचायत, मोरथला (आबूरोड)

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