गांव के पश्चिम में श्री कुंडेश्वर महादेव मंदिर की तरफ रास्ता जाता है। इस मार्ग पर शताब्दियों पुरानी बावड़ी है, जो रखरखाव पर पर्याप्त ध्यान नहीं देने से अपना अस्तिव खो चुकी है। बावड़ी की पाल पर बड़े आकार के शिवलिंग के अवशेष इधर-उधर फैल रहे थे। गांव के ग्रामीणों व समाजसेवियों ने अपने स्तर पर शिवलिंग के संरक्षण के लिए हाथ बढ़ाया। कुछ दिन पहले उन्होंने कारीगर बुलवाया। उसने शिवलिंग के बिखरे अवशेष को केमिकल से जोड़ दिया। अब शिवलिंग मूल स्वरूप में दिखाई देने लगा है। ग्रामीण चाहते हैं कि बावड़ी का पुनरुद्धार कर उसे मूल आकार में लाया जाए, इसमें वे सहयोग को तैयार है। इससे गांव में प्राचीन पुरा संपदा संरक्षित होगी। अन्य लोग इस तरह के काम के लिए प्रेरित होंगे।
माता की मूर्ति स्थापना के बाद बसा गांव
गांव के 62 वर्षीय दलपतसिंह देवड़ा बताते हैं कि करीब 450 साल पहले उनके पूर्वज आमथला से करीब सात किलोमीटर दूर ओर गांव से आमथला (अमरावती) आए थे। उन्होंने उस समय आमथला में वर्तमान ग्राम पंचायत कार्यालय के पास श्री कुंडेश्वर महादेव मंदिर मार्ग पर मौजूद बावड़ी से काली माता की मूर्ति लाकर स्थापित करवाई थी। इसके बाद गांव बसाया। बावड़ी हजारों साल पुरानी है। प्राचीन धरोहर का रखरखाव सबको मिलकर करना चाहिए।
शिवलिंग के जीर्णोद्धार की ठानी
गांव के मथुरा प्रसाद पुरोहित ने बताया कि हमें महादेव मंदिर दर्शन के लिए जाने के दौरान शिवलिंग के बिखरे अवशेष देख अच्छा नहीं लगता था। कई बार शिवलिंग को व्यवस्थित करवाने का विचार आया। पिछले दिनों उन्होंने बड़ोदा के धनजंय भाई, गांव के जसवंतसिंह, समाजसेवी हूसाराम गरासिया, दीताराम व ग्रामीणों से बात कर शिवलिंग को मूल स्वरूप प्रदान करने के बारे में चर्चा की। सभी ने सहमति दी। हम यह काम करवाकर बहुत खुश हैं। शीघ्र सुरक्षा दीवार भी बनवाएंगे। जसवंतसिंह ने कहा कि अपनी प्राचीन विरासत को संजोकर रखने में आम लोग और प्रशासन मिलकर कार्य करें तो यह बड़ा आसान होगा।