इसलिए उठाया कदम आरजीएचएस योजना में अब तक आरजीएचएस योजना के तहत पात्र मरीजों को कल्याण अस्पताल में पूर्व में आरजीएचएस काउंटर पर पर्ची कटवानी पड़ती थी। इस पर्ची पर एचआईडी नबर नहीं होने से पात्र मरीज के जांच करवाने पर ऑनलाइन जांच रेकार्ड नहीं बन पाता था। इस कारण मरीज को सामान्य मरीज की तरह इंटीग्रेटेड हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम के जरिए एचआईडी जनरेट करवाने के लिए दोबारा पर्ची की लाइन में खड़ा होकर दूसरी ओपीडी पर्ची कटवानी पड़ती थी। इस पर चिकित्सक को दोबारा वहीं जांच लिखनी पड़ती थी। इसके बाद ही जांच ऑनलाइन हो पाती थी।
अब परिजन भी कटवा सकेंगे पर्ची राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) में हाल ही में किए गए बदलावों ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों और बुजुर्ग मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी थी। पूर्व में जिनके परिवार के सदस्य निजी अस्पताल में जाकर फॉलोअप दवाएं ले आते थे। नई व्यवस्था के तहत निजी अस्पतालों में दवा लिखवाने और उपचार के लिए मरीज को स्वयं उपस्थित होकर लाइव फोटो और फिंगरप्रिंट अनिवार्य कर दिए गए। जिससे परेशानी बढ़ गई तो मरीजों की सुविधा के लिए प्रबंधन ने यह तय किया है। जिससे असाध्य रोगों से ग्रसित व फॉलोअप पेंशेंट या उनके परिजन सरकारी अस्पताल में जाकर पर्ची के आधार पर फॉलोअप दवाएं लिखवा सकेंगे।
इनका कहना है मरीजों की परेशानी को देखते हुए आरजीएचएस योजना में एक ही पर्ची का प्रावधान किया गया है। जिससे अब आरजीएचएस की पर्ची पर एचआईडी नबर होने के कारण मरीज की रिपोर्टिंग और अस्पताल को मिलने वाले क्लेम में परेशानी से निजात मिली है। इसका सबसे फायदा लबे समय से दवाएं लेने वाले उन बुजुर्गों को होगा। जिन्हें फॉलोअप दवाएं लिखवाने के लिए बार-बार निजी अस्पतालों में जाना पड़ता था।
डॉ. महेंद्र सैनी, नोडल अधिकारी, मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना