Mission Allout: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 5 अप्रैल को दंतेवाड़ा में बस्तर पंडुम के मंच से ऐलान किया था कि जो गांव नक्सल मुक्त होगा उसे विकास के लिए 1 करोड़ दिए जाएंगे। शाह के इस ऐलान के ठीक 13 दिन बाद सुकमा जिले का बड़ेसट्टी प्रदेश का पहला नक्सलमुक्त गांव बन गया है। गांव में सक्रिय रहे अंतिम 11 नक्सलियों ने शुक्रवार को सुकमा एसपी के सामने सरेंडर कर दिया।
Mission Allout: गांव के विकास के लिए पंचायत को मिलेगी राशि
सुकमा जिले में एक दिन में कुल 33 नक्सलियों ने सरेंडर किया। अमित शाह ने मार्च 2026 तक बस्तर समेत समूचे देश से नक्सलवाद के खात्मे का ऐलान किया है। उनके इस ऐलान के बाद से बस्तर में लगातार नक्सलवाद कि जड़े कमजोर होती जा रही हैं। मुठभेड़ और सरेंडर के बीच नक्सल संगठन कमजोर होता जा रहा है। सुकमा के बड़ेसट्टी के नक्सलमुक्त होने से बस्तर के अन्य क्षेत्रों में भी नक्सल प्रभावित गांवों के मुख्यधारा में आने की उम्मीद और तेज हो गई है।
1 करोड़ से बनेंगे स्कूल और अस्पताल
बड़ेसट्टी को नक्सल मुक्त पंचायत घोषित करने के बाद एक करोड़ दिए जाएंगे। यह राशि स्कूल, अस्पताल सड़क, पेयजल पर खर्च की जाएगी। पहले 25 हजार देते थे अब 50 हजार दिए जाते थे। नई सरेंडर नीति में बिना हथियार के सरेंडर करने पर 50 हजार रुपए देने का निर्णय लिया गया है।
40 लाख के इनामी 22 नक्सलियों का सरेंडर
नारायणपुर के अबूझमाड़ के जंगल में शुक्रवार को फ़ोर्स और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई। दो घंटे चली मुठभेड़ के बाद नक्सलियों की कंपनी नंबर 1 पुलिस को भारी पड़ता देख भाग निकली। घटनास्थल से लैपटॉप, वॉकीटॉकी, नगद 6 लाख रुपए , वायर, टिफिन बम सहित भारी मात्रा में अन्य सामग्री मिली है।
माड़ डिवीजन और नुआपाडा डिवीजन के एक नक्सल दम्पती सहित कुल 22 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पित नक्सलियों पर शासन ने 40 लाख 50 हजार का इनाम घोषित किया था। गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा सरकार ने नक्सलवाद के समाधान के लिए जिस संवेदनशील और दूरदर्शी नीति को अपनाया है, उसका परिणाम अब ज़मीनी स्तर पर दिखने लगा है। मैं आत्मसमर्पण करने वालों को नए जीवन की शुरुआत के लिए शुभकामनाएं देता हूं।
संगठन की अमानवीय सोच से तंग आ चुके थे
सुकमा एसपी के सामने सरेंडर करने वाले 11 नक्सलियों ने कहा कि लंबे समय से संगठन में सक्रिय थे पर संगठन की अमानवीय सोच, शोषण, भेदभाव और हिंसा से तंग आकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला लिया। उन्होंने बताया कि बाहरी नक्सली नेतृत्व स्थानीय आदिवासियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करता है।
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