निरीक्षण टीम बिश्रामपुर क्षेत्र पहुंची और यहां से टीम सीधे केतकी खदान पहुंचकर खदान के भीतर प्रदूषण की स्थिति का आंकलन (Pollution in coal mines) किया। यहां करीब तीन घंटे के निरीक्षण के बाद टीम खदान के बाहर निकली। यहां क्षेत्रीय महाप्रबंधक अजय तिवारी व सहक्षेत्र प्रबंधक उग्रनाथ झा ने केतकी खदान के विषय में विस्तार से जानकारी दी।
साथ ही खदान से होने वाले प्रदूषण (Pollution in coal mines) के प्रभाव को कम करने किए गए प्रबंधकीय प्रयासों से टीम को अवगत कराया। बताया जा रहा है कि खदानों से होने वाले प्रदूषण के प्रभाव के आंकलन के लिए भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा इनवायरमेंट एक्सपर्ट अप्रेजल की अलग-अलग टीम का गठन किया गया है।
इन्हीं में एक टीम एसईसीएल के दौरे पर पहुंची है। एसईसीएल में 2 खदानों केतकी भूमिगत खदान व चिरमिरी के विजय वेस्ट खदान को निरीक्षण की सूची में शामिल किया गया है। ओपन कास्ट खदानों के मुकाबले भूमिगत खदानों में प्रदूषण (Pollution in coal mines) का प्रभाव कम होने भूमिगत खदानों को पर्यावरण मापदंडों में रियायत देने के उद्देश्य से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से गठित कमेटी सदस्यों के निरीक्षण को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बताया जा रहा है कि मूल्यांकन टीम निरीक्षण की रिपोर्ट वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को सौंपेगी। निरीक्षण में टीम लीडर एसएस सिंह, साइंटिस्ट चंद्रशेखर राव सहित कंपनी मुख्यालय सीएमपीडीआईएल के अधिकारी भी मौजूद थे।
Pollution in coal mines: इन स्थानों पर भी पहुंचे समिति के सदस्य
टीम ने उत्पादन के बाद बंद पड़ी पोखरिया खदान में माइंस क्लोजर मद करीब आठ करोड़ की राशि से निर्मित केनापारा पर्यटन केंद्र सहित बिश्रामपुर व भटगांव में स्थापित किए गए चालीस मेगावाट के सोलर परियोजना का भी निरीक्षण किया।
इसके अतिरिक्त खुली व बंद खदानों (Pollution in coal mines) के करीब से होकर प्रवाहित रेण नदी के भी बहाव सहित जल में प्रदूषण के स्तर का टीम ने मूल्यांकन किया। इसके अतिरिक्त खदान प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों से भी मुलाकात कर खदान से उनके जीवन में पड़े प्रभाव सहित कंपनी द्वारा सुविधाओं के लिए किए गए कार्यों का ब्यौरा एकत्रित किया।