गौरतलब है कि जिला शिक्षा अधिकारी सूरजपुर द्वारा दिनांक 04 जून 2025 को आदेश जारी कर एक शिक्षिका की पदस्थापना विद्यालय में की गई थी, लेकिन आदेश के बावजूद अब तक कार्यभार नहीं (Teacher not join school) लेने से यहां पढऩे वाले 62 विद्यार्थियों, जिनमें से लगभग 20 प्रतिशत छात्र विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डो समुदाय से हैं, उनकी पढ़ाई गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
विद्यालय के प्रधान पाठक ने जिला शिक्षा अधिकारी को स्थिति से अवगत कराते हुए वैकल्पिक शिक्षक व्यवस्था करने की मांग की है ताकि बच्चों की पढ़ाई ठप (Teacher not join school) न हो और शिक्षण कार्य पुन: गति पकड़ सके, क्योंकि एकल शिक्षकीय होने से प्रधान पाठक को स्वयं ही अध्यापन कार्य के साथ विद्यालय से संबंधित सभी कार्यों का संपादन करना पड़ रहा है। इससे विद्यालय को सुचारू रूप से संचालित करने में काफी परेशानी हो रही है।
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यह स्थिति सूरजपुर जिले के और भी अन्य विद्यालयों (Teacher not join school) की भी बनी हुई है। अब प्रश्न यह उठता है कि जब युक्तियुक्तकरण के बाद भी संस्था में शिक्षक उपस्थित नहीं हो रहे। ऐसे में क्या यह प्रक्रिया सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति बनकर रह गई है।