बता दें कि 4 से 5 घंटे लंबी लाइन में लगने के बाद भी मरीजों को उपचार नहीं मिल पा रहा। पांच दिन में 450 से ज्यादा रूटीन ऑपरेशन टाले गए। हड़ताल से अस्पताल के हालत ऐसे हो गए कि कई मरीज तो इलाज के बिना ही लौट रहे हैं। कई हड़ताल के चलते अस्पताल ही नहीं पहुंच रहे हैं।
इधर, हड़ताल पर चल रहे रेजिडेंट हादसे को लेकर जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं। उन्होंने सोमवार को भी अस्पताल परिसर में रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया। हड़ताल का असर प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेज पर भी पड़ा। प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेज में भी रेजिडेंट दो घंटे स्ट्राइक पर रहे, जिसका असर वहां के कामकाज पर पड़ा।
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150 की फैकल्टी से नहीं संभल रहे मरीज
आरएनटी मेडिकल कॉलेज में करीब 800 रेजिडेंट डॉक्टर हैं। जो एमबी चिकित्सालय, जनाना, बाल चिकित्सालय, बड़ी टीबी हॉस्पिटल, सैटेलाइट हिरणमगरी, चांदपोल सैटेलाइट का काम संभालते हैं। पांच दिन से चल रही स्ट्राइक से सभी अस्पतालों में काम बहुत कम हो रहा है। महज 150 फैकल्टी चिकित्सक के भरोसे ओपीडी और आईपीडी छोड़ रखी है।
24 घंटे सेवा वाले इमरजेंसी और आईसीयू के भी हालात बुरे हैं। वहां राउंड द क्लॉक सीनियर चिकित्सक सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन वे नाकाफी हैं। सीनियर और जूनियर नर्सिंग स्टॉफ के भरोसे काम चल रहा है। जनाना के हाल तो इससे भी ज्यादा खराब हैं। रोजमर्रा की 90 से 100 के बीच होने ओपीडी कम हुई है। कई लोग सीधा ही मरीजों को निजी अस्पताल ले जा रहे।
रेजिडेंट ने विरोध प्रदर्शन के बीच निकाली रैली
हड़ताल के चलते रेजिडेंट का विरोध प्रदर्शन जारी है। सोमवार सुबह सभी रेजिडेंट आरएनटी के प्रशासनिक भवन के बाहर जमा हुए। सभी ने जमकर नारेबाजी की। उसके बाद अस्पताल परिसर में रैली निकाली। इस दौरान उनके हाथों में तख्तियां थी, वे रास्ते भर में नारेबाजी करते हुए चल रहे थे। गौरतलब है कि पांच दिन पहले हॉस्टल में डॉ. रवि की मौत हो गई थी।
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कोई बिना इलाज के लौटा, कोई नंबर नहीं आने पर मायूस
रेजिडेंट की हड़ताल के चलते लगातार ओपीडी में मरीजों की संख्या घटती जा रही है। रोजाना 6500 से 7000 की ओपीडी घटकर 4500 से 5000 के बीच रह गई। घटती ओपीडी के बीच कई मरीज ऐसे भी दिखे जो पर्ची कटवाने के बाद लाइन देखकर बिना इलाज ही चले गए। कई मरीज तो 4-5 घंटे लाइन में लगने के बाद भी नम्बर नहीं से मायूस दिखे। अधिकांश पर्चियों पर वैकल्पिक रूप से लगाए फैकल्टी चिकित्सकों ने मरीज को पूरा सुने बिना ही दवाई लिखकर रवाना कर दिया।