शहर के ऑटोमोबाइल्स ट्रेंड को देखें तो ई-व्हीकल रफ्तार पकड़ रहे हैं, वहीं सीएनजी वाहनों की गति कमजोर पड़ी है। शहर में करीब डेढ़ लाख वाहन रजिस्टर्ड हैं, जिनमें 2154 ही ई-व्हीकल हैं। लेकिन पांच साल में ई-व्हीकल दस गुना बढ़ गए हैं। कम रजिस्ट्रेशन के पीछे आरटीओ संतोष कुमार मालवीय का तर्क है, ई-व्हीकल का पंजीयन जरूरी है। बावजूद इसके सड़कों पर आधी से ज्यादा गाडिय़ां बगैर रजिस्ट्रेशन के दौड़ रही हैं। यह लापरवाही हो सकती है और जानकारी का अभाव भी। यानी ई-व्हीकल का वास्तविक आंकड़ा दोगुना होगा।
वर्ष सीएनजी ईवी
2018 517 86 2019 597 132
2020 129 72
2021 55 311
2022 11 859
(17 नवंबर तक के आंकड़े आरटीओ से प्राप्त) शहर में बढ़ रहे ई-स्कूटर
शहर में ई-व्हीकल की स्थिति देखें तो सबसे ज्यादा संख्या सवारी ई-रिक्शा की है। इसके बाद ई-स्कूटर की तरफ लोगों का रुझान है। हालांकि ई-कार की संख्या अभी कम है, लेकिन आगामी वर्षों में इनकी संख्या में भी इजाफा होगा।
लोडिंग ऑटो रिक्शा 1
सवारी ई रिक्शा 1431
ई मोपेड 29
ई मोटर कार 7
ई मोटर साइकिल 6
ई स्कूटर 680
कुल -2154 यह कहते हैं डीलर
पेट्रोल-डीजल के मुकाबले 10 गुना सस्ता है इस्तेमाल
ई बाइक डीलर अमित परिहार का कहना है, उज्जैन में ईवी की डिमांड बढ़ रही है। शहर के लोग जागरूक हो रहे हैं। इन वाहनों के 2 बड़े फायदे हैं, पहला इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल पेट्रोल-डीजन वाहनों की तुलना में तकरीबन 10 गुना सस्ता है। दूसरा ये गाडिय़ां वातारवण को प्रदूषित नहीं करती और इको फ्रेंडली होती हैं।
ई-व्हीकल के चलन में आने में अब कई चुनौतियां हैं। पहला सरकार इसके प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान नहीं दे रही है। दूसरा, सरकार इसके कलपुर्जे खासकर बैटरी पर 28 प्रतिशत जीएसटी को कम नहीं कर रही है। इस कारण ई-व्हीकल और उनके कलपुर्जे महंगे हैं। तीसरा ई-व्हीकल के चार्जिंग स्टेशन को लेकर शहर में तेजी से काम नहीं हो पाया है।