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श्रद्धालु थाने में शिकायत कर अपने शहर लौट गए। पुलिस ने बाद में जब उन्हें फोन किया तो कई ने कहा, दो हजार रुपए की ठगी में केस दर्ज कराने उज्जैन नहीं आ सकते। कई ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। समय रहते यदि मंदिर समिति और पुलिस ने संज्ञान लिया होता तो कार्रवाई होती और आरोपी गिरफ्त में होते, पर ऐसा नहीं हुआ।
एक्सपर्ट व्यू
व्यवस्थाएं बेहतर की हैं। दिसंबर में ही 17 पर केस दर्ज किया। सख्त सजा दिलाने तकनीकी और ठोस साक्ष्य जुटाए। 11 को जेल भी भेजा है। – प्रदीप शर्मा, एसपी उज्जैन लोक अभियोजक कुलदीप भदौरिया का कहना है, कई मामले ट्रायल में हैं। किसी मामले में दोषी को सजा नहीं हुई है। - 1700 श्रद्धालुओं को रोज भस्म आरती दर्शन के लिए मंदिर समिति देता है अनुमति
- 400 भक्तों को मंदिर की वेबसाइट के जरिए अनुमति।
- 500 भक्तों को प्रोटोकॉल के जरिए वीआइपी अनुमति।
- 400 अनुमतियां पुजारी-पुरोहित के यजमानों के लिए आरक्षित।
- 400 सामान्य दर्शनार्थियों के लिए।
- 200 रुपए प्रति व्यक्ति भस्म आरती दर्शन के लिए।
सजा मिलेगी, तब लगेगी धोखाधड़ी पर लगाम
अधिकतर मामलों में पुलिस की सही जांच नहीं हुई। वह कई बार समय पर चालान पेश नहीं कर पाती। ऐसे में हो रही धोखाधड़ी में अपराधी को सजा नहीं मिल पा रही। सजा मिलेगी तो भय पैदा होगा। मंदिर समिति को लीगल सेल विंग बनानी चाहिए। यह विंग मंदिर की आर्थिक, भस्म आरती और दर्शन संबंधी धोखाधड़ी के मामले में कार्रवाई करे। दर्शन व्यवस्था का व्यापक प्रचार-प्रसार करना होगा। अभी अधिकतर को दर्शन व्यवस्था की जानकारी नहीं रहती। – वीरेंद्र शर्मा, सीनियर एडवोकेट