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उज्जैन

एमपी के उज्जैन में सिंहस्थ मेला के लिए नहीं मिल रही जमीन, बेनतीजा रही अखाड़ा परिषद की बैठक

Simhastha Mela 2028 – मध्यप्रदेश के उज्जैन में सिंहस्थ मेला 2028 Simhastha Mela 2028 के लिए जमीन के मामले में बड़ा अड़ंगा आ गया है।

उज्जैनMar 23, 2025 / 04:58 pm

deepak deewan

Land not available for Simhastha fair in Ujjain

Land not available for Simhastha fair in Ujjain

Simhastha Mela 2028 – मध्यप्रदेश के उज्जैन में सिंहस्थ मेला 2028 Simhastha Mela 2028 के लिए जमीन के मामले में बड़ा अड़ंगा आ गया है। किसानों ने अपनी जमीन देने से साफ इंकार कर दिया है। स्प्रिचुअल सिटी के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए स्थानीय अखाड़ा परिषद ने मध्यस्थता कर अफसरों और किसानों की संयुक्त बैठक बुलाई थी। इसमें वरिष्ठ अफसर ने 40 मिनट तक भूमि अधिग्रहण के फायदे गिनाए लेकिन किसानों ने दो टूक कह दिया- हम जमीन नहीं देंगे। बैठक में शामिल 200 से अधिक किसानों ने यह तर्क भी दिया कि सिंहस्थ मेला परंपरागत स्वरूप में आयोजित हो।
उज्जैन में सिंहस्थ-2028 Simhastha Mela 2028 के लिए स्प्रिचुअल सिटी में भूमि अधिग्रहण को लेकर स्थानीय अखाड़ा परिषद ने शनिवार को शिप्रा तट पर स्थित नया उदासीन अखाड़े में बैठक बुलाई। इसमें 13 अखाड़ों के साधु-संत, 200 से ज्यादा किसान और अधिकारी शामिल हुए। उज्जैन विकास प्राधिकरण यानि यूडीए की तरफ से दलीलें सुनने के बाद किसानों ने जमीन देने से साफ इनकार कर दिया।
बैठक में उज्जैन विकास प्राधिकरण सीईओ संदीप सोनी ने करीब 40 मिनट तक जमीन अधिग्रहण से होने वाले फायदे बताए। उनकी बातें सुनने के बाद अधिकतर किसानों ने स्पष्ट कहा, वे जमीन देने को तैयार नहीं है। किसान बोले, सिंहस्थ मेला पूर्व की तरह परंपरागत लगाया जाए।
यूडीए की दलील
क्षेत्र की जमीन विकसित होगी – स्थानीय अखाड़ा परिषद के तत्वावधान में आयोजित बैठक में संभागायुक्त संजय गुप्ता, कलेक्टर नीरजकुमार सिंह और यूडीए सीइओ संदीप सोनी को बुलाया गया था। इनमें से सिर्फ यूडीए सीईओ संदीप सोनी पहुंचे। सोनी ने किसानों को सिंहस्थ भूमि अधिग्रहण के फायदे बताते हुए कहा कि इससे क्षेत्र की जमीन विकसित होगी। सिंहस्थ Simhastha Mela 2028 में 30-40 करोड़ लोग आएंगे तो उन्हें फायदा मिलेगा। सडक़, नाली बनने से हादसे के समय तुरंत कार्रवाई हो सकेगी। मास्टर प्लान के मुताबिक किसानों को निर्माण की अनुमति भी दी जाएगी। बैठक में प्राधिकरण ने योजना की सिलसिलेवार जानकारी भी दी।
किसानों का जवाब
हमारे पास घर हैं, दोबारा क्यों बनाएं? किसानों से जब योजना को लेकर अपनी बात रखने को कहा गया तो अधिकतर ने जमीन देने से इनकार कर दिया। किसानों ने कहा कि मेला परंपरागत ही मनाए जाए। बैठक में मामला बिगड़े नहीं, इसके लिए संतों ने किसानों से प्रतिनिधि के रूप में दोबारा से चर्चा की बात कही। किसानों का कहना है कि वे जमीन नहीं देना चाहते।
किसान बोले- पुरजोर विरोध करेंगे
किसानों की ओर से एडवोकेट अर्पित वर्मा, राहुल शर्मा, आशुतोष उपाध्याय, सुरेंद्र चतुर्वेदी, ललित मीणा आदि उपस्थित रहे। किसानों ने कहा कि अगर लैंड पूलिंग योजना को जबरन लागू किया गया तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
संतों ने स्पष्ट की स्थिति
हम किसानों की जमीन नहीं छिनवा रहे- रामेश्वरदास:
किसानों के साथ अधिकारियों की हुई बैठक को लेकर स्थानीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रामेश्वरदास का कहना है, किसानों को यह भ्रम है कि साधु-संत जमीन छिनवा रहे हैं। इसे दूर करने के लिए किसानों और अधिकारियों को सामने बैठाया ताकि योजना को लेकर कोई भी सवाल, समस्या हो तो वे समझ सकें। हमारा उद्देश्य दोनों के बीच सामंजस्य बैठाना है। बैठक में सामने आया कि किसान जमीन देने को तैयार नहीं हैं।
अखाड़ों के पास तो पहले से ही जमीन
बैठक में संतों ने कहा कि उन्हें जमीन की जरूरत नहीं है, सभी 13 अखाड़ों के पास जमीन है। सिंहस्थ Simhastha Mela 2028 में शासन जहां जमीन उपलब्ध करवाएगा, वहां अखाड़े लगा लेंगे। किसानों को ही फैसला लेना है कि उन्हें जमीन को लेकर क्या करना है। बैठक में स्थानीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत डॉ. रामेश्वरदास महाराज, उपाध्यक्ष और बड़ा उदासीन अखाड़ा के महंत सत्यानंद महाराज, सचिव और जूना अखाड़ा के महंत रामेश्वर गिरी महाराज, कोषाध्यक्ष और निर्मोही अखाड़े के महंत भगवानदास महाराज, निर्णाणी अखाड़ा के दिग्विजय दास, दिगंबर अखाड़े के दिग्विजय दास, नया उदासीन अखाड़े के महंत मंगलदास, लालराज महाराज सहित 13 अखाड़ों के संत-महंत उपस्थित रहे।
किसानों ने उठाए ये मुद्दे

  1. किसान अपनी भूमि पर घर भी बना सकेंगे। किसानों का कहना है कि हमारे घर हैं, तो दोबारा घर क्यों बनाएंगे। पहले जो घर बने हैं, उन्हें लेकर नोटिस दिए गए हैं।
  2. किसानों का कहना था कि 50 फीसदी जमीन यूडीए लेगा तो आधी जमीन पर हम क्या करेंगे। हम निर्माण नहीं कर सकते।
  3. संतों को हम पहले भी जमीन देते आए हैं, फिर से हम जमीन दे देेंगे। स्थायी तौर पर जमीन क्यों ली जा रही है।
  4. किसानों ने भूमि अधिग्रहण की योजना को यूडीए के लिए फायदेमंद बताया।

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