उज्जैन के विश्व विख्यात महाकाल मंदिर की 45 बीघा जमीन MAHAKAL TEMPLE LAND विवादों में आ गई है। निमनवासा में दान की गई इस जमीन को उज्जैन विकास प्राधिकरण यानि यूडीए ने टीडीएसएस-4 स्कीम में शामिल कर लिया है। हालांकि मामला सामने आने पर कलेक्टर नीरज सिंह ने यूडीए को पत्र भेजकर मंदिर की जमीन को अधिग्रहण से मुक्त करने को कहा है लेकिन कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपक लिया।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने महाकाल मंदिर की जमीन को उज्जैन विकास प्राधिकरण यूडीए द्वारा अधिग्रहित किए जाने को भ्रष्टाचार का पर्याय बताया। उन्होंने कहा कि महाकाल की जमीन पर कॉलोनी काटने का मतलब मंदिर की जमीन बेचना है… महाकाल की जमीन बिक रही है, इसका मतलब है कि भ्रष्टाचार अपने चरम पर है… पीसीसी चीफ ने यह भी कहा कि कांग्रेस सजग है और इस मामले में हम अपना धर्म निभाएंगे।
महाकाल मंदिर की जमीन यूडीए द्वारा अधिग्रहित कर लिए जाने पर विवाद सामने आते ही प्रशासन सक्रिय हो गया। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने यूडीए बोर्ड को पत्र लिखकर कहा है कि महाकाल मंदिर की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाए। कलेक्टर ने बताया कि – यूडीए को महाकाल की जमीन अधिग्रहण मुक्त करने के निर्देश दिए हैं। उनका यह भी कहना है कि धर्मस्व विभाग के एक सर्कुलर में स्पष्ट निर्देश हैं कि मंदिर की जमीन का अधिग्रहण केवल शासकीय प्रक्रिया से ही हो सकता है।
दरअसल जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया इस तरह पूरी की गई कि महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति को भनक तक नहीं लग सकी हालांकि मंदिर प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। इस संबंध में यूडीए के 6 दिसंबर 2023 को महाकाल मंदिर को भेजे गए अनुमोदन पत्र पर यूडीए सीईओ और मंदिर प्रशासक दोनों के ही रूप में संदीप कुमार सोनी के साइन हैं।
महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम की धारा-12 की उपधारा-2 में स्पष्ट कहा गया है कि मंदिर की किसी भी अचल संपत्ति को आयुक्त की अनुमति के बिना न तो बेचा जा सकता है और न ही गिरवी या हस्तांतरित किया जा सकता है। इस नियम का सरासर उल्लंघन करते हुए जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया।