सबसे पहले महाकाल की होली: भगवान महाकालेश्वर को अर्पित किया एक किलो हर्बल गुलाल, फिर हुआ होलिका दहन
Mahakal Holi First : हर साल सबसे पहले महाकाल मंदिर में होली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार भगवान महाकालेश्वर को सिर्फ एक किलो हर्बल गुलाल अर्पित किया गया।
Mahakal Holi First :मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकाल मंदिर में सबसे पहले होली का त्योहार मनाया गया। सबसे पहले बाबा महाकाल को एक किलो हर्बल गुलाल अर्पित किया गया। फिर पूजन के बाद महाकाल के प्रांगण में होलिका का दहन किया गया।
बता दें कि, हर साल सबसे पहले महाकाल मंदिर में होली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार भगवान महाकालेश्वर को सिर्फ एक किलो हर्बल गुलाल अर्पित किया गया। शक्कर की माला चढ़ाई गई। संध्या आरती के बाद महाकाल मंदिर परिसर में ओंकारेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी घनश्याम शर्मा ने विश्व में सबसे पहले प्रज्जवलित होने वाली कंडों व लकड़ी से निर्मित होलिका का विधिवत पूजन-आरती के बाद होलिका दहन किया गया।
प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए खास इंतजाम किए थे। आरती के दौरान आईजी उमेश जोगा, कलेक्टर नीरज सिंह मौजूद रहे। मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि होली के बाद भगवान महाकाल की दिनचर्या में बदलाव होता है। अभी तक महाकाल का स्नान गर्म जल से किया जा रहा था, लेकिन होली के बाद से परंपरा अनुसार ठंडे जल से स्नान शुरू हो जाएगा। इसी परंपरा के अनुरूप महाकाल मंदिर में होली उत्सव का आयोजन किया जाएगा।
बता दें कि महाकालेश्वर मंदिर में होली का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ऐसी माना जाता है कि, होलिका अज्ञान और अहंकार को निरूपित करती है, इसलिए अपने जीवन को प्रगति की ओर ले जाना कर्मयज्ञ है, जैसे अग्नि समापन का प्रतीक है। वैसे ही अगले दिन होने वाला रंगोत्सव सृजन का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भक्त प्रह्लाद की भक्ति के कारण होलिका का अंत हुवा, जो ये दर्शाता है कि, सत्य और धर्म के पथ पर चलने वालों की हमेशा जीत होती है।
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