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घटना शनिवार सुबह घट्टिया के नज़दीक जगोटी गांव से आई 65 वर्षीय केसरबाई नट के साथ हुई। वे अपनी बहू सोनिया को प्रसव के लिए अस्पताल लाई थीं। डॉक्टरों ने सोनिया को भर्ती कर लिया और केसरबाई गेट के पास बैठकर उस पल का इंतज़ार करने लगीं, जब उनके घर में एक नई किलकारी गूंजेगी। उनके पास उन कपड़ों का छोटा सा पैकेट भी था, जो उन्होंने होने वाले ’पोते-पोती’ के लिए पहले से तैयार कर रखा था। इसी दौरान एक 108 एम्बुलेंस अन्य मरीज को लेकर अस्पताल पहुंची। टर्न लेते समय ड्राइवर ने लापरवाही बरती और गेट के पास बैठी केसरबाई को कुचल दिया। अस्पताल परिसर में मची अफरा-तफरी के बीच घायल केसरबाई को तत्काल उपचार के लिए उसी एम्बुलेंस से चरक अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
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घटना के चंद घंटों बाद ही बहू सोनिया ने एक बेटी को जन्म दिया। अस्पताल के एक हिस्से में जहां किलकारी गूंज रही थी, वहीं दूसरी ओर एक दादी की गोद हमेशा के लिए सूनी हो चुकी थी। केसरबाई का परिवार लंबे समय से उज्जैन के पास जगोटी में रह रहा है। पुलिस ने एम्बुलेंस ड्राइवर के खिलाफ लापरवाही का केस दर्ज कर लिया है, लेकिन इस घटना ने चिकित्सा व्यवस्था और अस्पताल परिसरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वह दादी भी ‘मां’ थी, जो बहू को अस्पताल लाई, पोते-पोतियों के स्वागत में नए कपड़े लिए बैठी थी और अस्पताल की लापरवाह व्यवस्था की शिकार हो गई? जिसकी ममता अस्पताल के गेट पर दम तोड़ गई।