गाजियाबाद-मेरठ मार्ग पर स्थित यह स्टेशन मेरठ तिराहा मोड़ और दिल्ली मेट्रो के शहीद स्थल नया बस अड्डा स्टेशन के पास होने के कारण भारी संख्या में यात्रियों को आकर्षित करता है। स्टेशन के अंदर स्थित होने से यह पेशेवरों के यात्रा समय को कम करेगा और उनकी उत्पादकता को बढ़ाएगा।
ये मिलेगी सुविधा
मेट्रोडेस्क में आरक्षण, मेंबरशिप प्रबंधन और कैशलेस लेनदेन के लिए एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म होगा। यह स्पेस इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) सेवाओं से लैस होगा, जिससे स्मार्ट लाइटिंग, जलवायु नियंत्रण और मीटिंग रूम की स्वचालित बुकिंग संभव होगी। इसके अलावा, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सेटअप, वायरलेस स्क्रीन शेयरिंग और तकनीकी रूप से उन्नत विचार-विमर्श क्षेत्र भी उपलब्ध होंगे।
क्या कहते हैं रिपोर्ट
को-वर्किंग स्पेस पारंपरिक कार्यालयों की तुलना में किफायती और सुविधाजनक होते हैं। स्टार्टअप्स, छोटे व्यवसायों और रिमोट प्रोफेशनल्स के लिए यह एक उत्कृष्ट विकल्प साबित हो सकते हैं। कोविड महामारी के बाद को-वर्किंग स्पेस की मांग तेजी से बढ़ी है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष देश के प्रमुख शहरों में 2.24 लाख को-वर्किंग सीटों की मांग देखी गई, जिनमें से 38,000 सीटें दिल्ली-एनसीआर में थीं। एनसीआरटीसी, यात्रियों की सुविधा के साथ-साथ गैर-किराया राजस्व बढ़ाने के लिए भी कार्य कर रहा है। गाजियाबाद नमो भारत स्टेशन पर को-वर्किंग स्पेस की यह पहल स्टेशनों को ट्रांजिट हब से आगे बढ़ाकर बिजनेस हब में बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम है। वर्तमान में, नमो भारत ट्रेन न्यू अशोक नगर (दिल्ली) से मेरठ साउथ तक 55 किमी के खंड पर 11 स्टेशनों के साथ परिचालित हो रही है। पूरा 82 किमी लंबा दिल्ली-मेरठ नमो भारत कॉरिडोर, जिसमें मेरठ मेट्रो भी शामिल है, 2025 तक पूर्ण रूप से संचालित होने की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है।