बुगती को बिना किसी वारंट या कानूनी आदेश के उठा लिया गया
जानकारी के अनुसार सुई (डेरा बुगती) के बुगती कॉलोनी इलाके से जागो का बेटे हैदर बुगती को कथित तौर पर बिना किसी वारंट या कानूनी आदेश के उठा लिया गया। वहीं, ग्वादर के बेल नगर से एक और मामला सामने आया है, जहां बलूची कवि आबिद अदीब के नाबालिग बेटे अब्दुल्ला आबिद को हथियारबंद लोगों ने अगवा कर लिया। दोनों मामलों ने एक बार फिर बलूचिस्तान में आम नागरिकों की सुरक्षा और मानवाधिकारों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पाकिस्तानी सरकार से जांच की मांग (human rights in Pakistan)
मानवाधिकार संगठनों, बलूच एक्टिविस्ट्स और स्थानीय समुदायों ने इन घटनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। एमनेस्टी इंटरनेशनल और एचआरसीपी (पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग) ने पाकिस्तानी सरकार से तत्काल जांच और जवाबदेही तय करने की मांग की है। वहीं, पीड़ित परिवारों का कहना है कि “हमारे बच्चों और परिजनों को न्याय बिना कब तक इंतज़ार करना होगा?”
बलूचिस्तान में लापता व्यक्तियों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही
बलूचिस्तान में लापता व्यक्तियों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है। कई परिवार सालों से अपनों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा उठाए जाने के बावजूद, पाकिस्तान सरकार की चुप्पी और कार्रवाई की कमी आलोचना के केंद्र में है। आने वाले हफ्तों में सिविल सोसाइटी समूह और मानवाधिकार संगठन इस मुद्दे को UN और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार परिषद तक ले जाने की तैयारी कर रहे हैं।
राजनीतिक असहमति को दबाने के सैन्यकरण की बड़ी तस्वीर
बहरहाल ये घटनाएं केवल मानवाधिकार हनन नहीं, बल्कि राजनीतिक असहमति को दबाने के सैन्यकरण की बड़ी तस्वीर दिखाती हैं। लापता लोगों में अधिकतर बलूच छात्र, लेखक और बुद्धिजीवी होते हैं, जिनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होती। इस तरह की कार्रवाई से बलूच संस्कृति और आवाज़ दोनों को योजनाबदृध तरीके से दबाने की कोशिश मानी जा रही है। इनपुट के लिए क्रेडिट: यह रिपोर्ट विशेष रूप से ‘The Balochistan Post (TBP) और स्थानीय मानवाधिकार कार्यकर्ता समीरा बलोच के शेयर किए गए फील्ड-इनपुट पर आधारित है, जिनकी टीम ने पीड़ित परिवारों से प्रत्यक्ष संवाद किया है।