साजिश में सेना के दस जनरल ऑफिसर कमांडिंग शामिल
इस साजिश में सेना के दस जनरल ऑफिसर कमांडिंग (GOC) शामिल थे, जिनमें मेजर जनरल मीर मुशफिकुर रहमान और मेजर जनरल अबुल हसनत मोहम्मद तारिक प्रमुख हैं। इसके अलावा, पूर्व सैन्य जनरलों ने पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी की मदद से एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने की योजना बनाई है। उल्लेखनीय है कि लेफ्टिनेंट जनरल रहमान ने जनवरी में ढाका में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) के प्रमुख से मुलाकात की थी, जिससे उनके पाकिस्तान के साथ संबंधों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।
मुहम्मद यूनुस के सेना के साथ रिश्ते
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख, मोहम्मद यूनुस, और देश की सेना के बीच संबंध हाल के महीनों में जटिल हो गए हैं। पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों के कारण सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां की चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि इससे बांग्लादेश की आंतरिक सुरक्षा और राजनीति पर पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ने की संभावना है।
असीम मुनीर से मुलाकात के मायने
इसके अतिरिक्त, बांग्लादेश के नौसेना प्रमुख एडमिरल मोहम्मद नजमुल हसन की पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर से मुलाकात ने भी क्षेत्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। इससे भारत के लिए चिंताएं बढ़ गई हैं, क्योंकि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संबंध भारत की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन घटनाओं के बीच, मोहम्मद यूनुस ने सेना के जवानों को देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहने की सलाह दी है, जिससे सेना और सरकार के बीच संबंधों में और तनाव बढ़ सकता है। बांग्लादेश की सेना और सरकार के बीच संबंधों की निगरानी महत्वपूर्ण हो गई है, क्योंकि इससे देश की राजनीतिक स्थिरता और क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल
बहरहाल बांग्लादेश में हाल के महीनों में राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल देखी गई है, जिससे देश की स्थिरता पर प्रश्नचिन्ह लगा है। पिछले वर्ष, छात्र आंदोलनों और सरकार विरोधी प्रदर्शनों के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत में शरण लेनी पड़ी थी। इन आंदोलनों के पीछे कई कारण थे, जिनमें आरक्षण प्रणाली में बदलाव, भ्रष्टाचार, और सरकार की नीतियों के प्रति असंतोष शामिल थे। इसके अलावा, पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी समर्थक सैन्य अधिकारियों की तख्तापलट की साजिश ने देश की राजनीति में और भी जटिलताएं उत्पन्न की हैं। इन घटनाओं ने बांग्लादेश की राजनीतिक परिप्रेक्ष्य को बदल दिया है, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियां भी प्रभावित हो रही हैं।