क्या है इस प्रतिबंध में
रिपोर्ट में बताया गया है कि तिब्बत (Tibet) के बच्चों पर ये प्रतिबंध 30 दिसंबर से शुरू हो गए हैं। इसका मकसद बच्चों के तिब्बती भाषा के इस्तेमाल पर रोक लगाना और धार्मिक कार्यों में हिस्सेदारी को कम करना है। चीन के इन नए नियमों के मुताबिक तिब्बत की राजधानी ल्हासा समेत पूरे तिब्बत में बच्चों को अब दो महीने की सर्दियों की छुट्टियों के दौरान किसी भी एक्स्ट्राकरिकुलर तिब्बती एजुकेशन में शामिल होने से रोक दिया गया है। अधिकारी सभी तिब्बती बच्चों के लिए अब ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि इन सबके बजाय ये बच्चे अपने दूसरे कौशल को निखारने की कोशिश करें।
सख्ती से लागू किए जा रहे नियम
चीन के इस नए प्रतिबंध के तहत अब सिचुआन प्रांत में ज़ोगे (ज़ोइगे) और नगाबा (अबा) काउंटियों समेत कई इलाकों में स्थानीय अधिकारियों ने बच्चों को धार्मिक प्रतीकों को पहनने तक से मना कर दिया है। सिर्फ इतना ही नहीं अब इन बच्चों को लेकर इनके परिवार किसी धार्मिक कार्यक्रम या मठों में भी नहीं ले जा सकते। क्योंकि चीन के अधिकारियों ने इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने ये प्रतबिंध बच्चों पर इसलिए लगाए हैं जिससे वे अपने मूल से दूर हो जाएं और चीन को पूरी तरह तिब्बत को कब्जाने में मददगार साबित होगा। तिब्बती बच्चे अब सिर्फ उन शैक्षणिक कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं जो चीनी सरकार के पाठ्यक्रम या सिलेबस का पालन करती हैं।
घर-घर जाकर चीनी अधिकारी कर रहे जांच
रिपोर्ट बताती है कि इन नियमों का किंगहाई प्रांत में गोलोग (गुओलुओ) और सिचुआन में कार्देज़ समेत की तिब्बती इलाकों में सख्ती से लागू किया जा रहा है। अधिकारी घर-घर जाकर और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में जा-जाकर जांच भी कर रहे हैं। साथ ही अधिकारी निजी पाठों या धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए बच्चों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। गौरतलब है कि लगभग 6 दिन पहले ही चीन ने तिब्बत में स्थित दुनिया के सबसे बड़े बौद्ध अध्ययन केंद्र लारुंग गार (Larung Gar) बौद्ध अकादमी में बड़ी संख्या में सेना की तैनाती कर दी। तिब्बती खाम क्षेत्र में स्थित करज़े (चीनी नाम-गंजी) के सेरथर काउंटी में अकादमी में लगभग 400 चीनी सैनिकों को तैनात किया गया है जो अब सिचुआन प्रांत का हिस्सा है।