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‘दुबई’ के चक्कर में चीन से दुश्मनी करेगा पाकिस्तान! जानिए क्या है ये प्रोजेक्ट और क्यों गर्माया हुआ है मामला 

China Pakistan: पाकिस्तान और चीन के रुख से अब चीन के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट CPEC भी खतरे में आ गया है। चीन ने पहले ही इस प्रोजेक्ट के बंद करने की धमकी पाकिस्तान को दे दी है।

भारतJan 27, 2025 / 10:22 am

Jyoti Sharma

China Pakistan Dispute Over Gwadar Port and airport called as Dubai Project

Xi Jinping And Shehbaz Sharif

China Pakistan: चीन और पाकिस्तान की ‘दोस्ती’ जगजाहिर है। दुनिया से अलग-थलग पड़े पाकिस्तान को अब चीन का ही एक सहारा है और बाकी मदद IMF जैसे संस्थान पूरी कर रहे हैं। इसी का फायदा उठाते हुए भारत के पड़ोसी पाकिस्तान में चीन अपने कई प्रोजेक्ट को बढ़ावा देते हुए पाकिस्तान के ‘आर्थिक विकास’ में मदद कर रहा है। लेकिन अब यही प्रोजेक्ट्स पाकिस्तान और चीन के बीच में दरार डाल रहे हैं। आखिर ये पूरा मामला क्या है, ये हम आपको बता रहे हैं। 

ग्वादर पर ‘गदर’!

दरअसल ये मामला पाकिस्तान के ग्वादर (Gwadar) को ‘दुबई’ बनाने के प्रोजेक्ट का है। ग्वादर को पाकिस्तान की सरकार ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के शुरूआती बिंदू के तौर पर प्रचारित किया। सिर्फ इतना ही नहीं चीन ने ग्वादर को ‘दुबई’ बनाने का वादा कर लगभग 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च कर एक बुनियादी ढांचे वाला मेगाप्रोजेक्ट बनाने का संकल्प लिया है। इसमें एयरपोर्ट, हाइवे, रेलवे, बंदरगाह और बिजली प्लांट शामिल हैं। अब ये ग्वादर पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार (Shehbaz Sharif) के लिए एक बड़ी चुनौती बनता नजर आ रहा है। पाकिस्तान इस दुविधा में है कि चीन के तैयार किए इस ग्वादर एयरपोर्ट और पोर्ट को CPEC यानी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China Pakistan Economic Corridor) के शुरुआती बिंदु को ट्रांसफर किया जाए या इसे पूरी तरह से चीन को सौंप दिया जाए।

क्या चाहता है पाकिस्तान?

द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ग्वादर जैसे क्षेत्र में चीनी सेना की तैनाती नहीं चाहता। पाकिस्तान का मानना है कि उसके इस कदम से अमेरिका नाराज हो सकता है इसके एवज में अमेरिका कई प्रतिबंध पाकिस्तान पर लगा सकता है। इससे BLA यानी बलूच लिबरेशन आर्मी के हमलों समेत घरेलू विरोध भी भड़कने की संभावना है। चीन की मौजूदगी से खुद ग्वादर के लोग पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ़ खड़े हो गए हैं।

ग्वादर एयरपोर्ट के लिए चीन ने खर्च किए 230 मिलियन डॉलर

रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में पाकिस्तान के ग्वादर एयरपोर्ट के नए रनवे पर पहली फ्लाइट उतरी। तब पाकिस्तान की सरकार ने इसे मुल्क की प्रगति और समृद्धि की तरफ सरकार का एक कदम करार दिया था। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने तब कहा था कि ये एयरपोर्ट पाकिस्तान के सबसे अशांत क्षेत्र बलूचिस्तान में है। जो पाकिस्तान और चीन के सहयोग का प्रतीक है। लेकिन गौर करने की बात ये थी कि तब सिर्फ पाकिस्तान सरकार के ही नुमाइंदे ही यहां मौजूद थे, चीन का कोई अधिकारी यहां नहीं था। ये बात इसलिए अहम हो जाती है क्योंकि चीन ने इस ग्वादर एयरपोर्ट के लिए 230 मिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं।

बलूचिस्तान में प्रोजेक्ट होना सबसे बड़ा कारण

लेकिन अशांत क्षेत्र बलूचिस्तान के ग्वादर में इस प्रोजेक्ट को आतंकी संगठन BLA और स्थानीय लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। उनका चीन पर आरोप है कि चीन और पाकिस्तान ने शहर को ऊंची-ऊंची बाड़ों, चीनी इंजीनियर्स के लिए अलग-अलग कैंप्स बनाकर और पाकिस्तानी सेना की भारी तैनाती कर एक तरह से इस इलाके को जेल में बदल दिया है। इधर BLA यानी बलूच लिबरेशन आर्मी चीन के इस प्रोजेक्ट के विरोध में है। आतंकी संगठन का कहना है कि चीन-पाकिस्तान की सरकार मिलकर बलूचिस्तान के संसाधनों को लूट रहे हैं और यहां के नागरिकों का हक छीन रहे हैं। इससे आए दिन यहां पर आतंकी हमले हो रहे हैं और जिसमें चीन के नागरिकों को भी निशाना बनाया जा रहा है। 

CPEC बंद करने की चीन ने दी थी धमकी

इसे लेकर राजधानी इस्लामाबाद में पाकिस्तान में चीन के राजनीतिक सचिव वांग शेंगजी ने पाकिस्तान को वॉर्निंग भी दी थी कि अगर CPEC के लिए उनके कर्मियों पर हमला होता रहेगा तो पाकिस्तान में चीन के अरबों डॉलर के निवेश का भविष्य संकट में आ सकता है। उन्हें ये प्रोजेक्ट बंद भी करना पड़ सकता है। ग्वादर और बलूचिस्तान में चीनियों के खिलाफ नफरत है।, कुछ लोग CPEC के खिलाफ इसे बर्बाद करना चाहते हैं। 
बात इतने पर ही नहीं रुकी, रही सही कसर पाकिस्तान के चीन से परमाणु हमले की जवाबी कार्रवाई की क्षमता (Second Strike Nuclear Capacity) की मांग ने पूरी कर दी जो चीन उसे नहीं दे रहा है। 

‘ग्वादर चाहिए तो परमाणु बम दो’

दरअसल पाकिस्तान ने चीन से अब कहना शुरू कर दिया था कि अगर चीन को ग्वादर पोर्ट चाहिए तो परमाणु हमले की जवाबी कार्रवाई की क्षमता उसे देनी होगी। इस पर चीन ने पाकिस्तान को फटकार लगाते हुए ग्वादर पोर्ट पर दोनों देशों के बीच बातचीत को ही बंद कर दिया था।  
पाकिस्तान मामलों को कवर करने वाली ड्रॉप साइट न्यूज के मुताबिक पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बेहद बुरे दौर से गुज़र रही है, लेकिन पाकिस्तानी सेना परमाणु योजना पर अड़ी हुई है। दरअसल सेकंड स्ट्राइक न्यूक्लियर क्षमता को दूसरे देश से साझा करना एक संवेदनशील मुद्दा है क्योंकि ये ना केवल चीन की सैन्य रणनीति के लिए जोखिम भरा है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि को भी धूमिल कर सकता है। 

26 परियोजनाओं से हाथ खींचेगा चीन!

इधर चीनी कामगारों की सुरक्षा CPEC के लिए मुश्किल बन गई। चीनी अधिकारियों ने कहा है कि परियोजना का दूसरा चरण अभी भी शुरू नहीं हुआ है, और अभी भी पाइपलाइन में मौजूद 26 परियोजनाओं में से कई को पीछे हटाने की नौबत भी आ गई है। चीन ने पाकिस्तान से अपने कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा वापस बुला लिया है, और ग्वादर में चीनी कर्मियों के आने पर अब सैन्य स्तर की सुरक्षा बंद कर दी है। 

चीन के लिए क्यों जरूरी ग्वादर बंदरगाह

दरअसल ग्वादर बंदरगाह, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का केंद्र है। ये चीन के लिए हिंद महासागर तक सीधी पहुंच प्रदान करता है। चीन इस ग्वादर पोर्ट को एक नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित करना चाहता है ताकि चीन अपनी समुद्री शक्ति को मजबूत कर सके। इसलिए ग्वादर में चीन तमाम तरह के प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है।

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