समयसीमा तय करना जरूरी हो गया है
यूनुस ने यह भी संकेत दिया है कि चुनाव की सटीक तारीख सरकार की ओर से की जा रही चुनावी सुधार प्रक्रिया की प्रगति पर निर्भर करेगी। उन्होंने स्वीकार किया कि “राजनीतिक दल सत्ता में लौटने के लिए अधीर हैं, इसलिए समयसीमा तय करना जरूरी हो गया है।”
फेज़ वाइज़ चुनावी सुधार” लागू करने का निर्देश दिया
सूत्रों के अनुसार, यूनुस ने निर्वाचन प्रक्रिया की तैयारी तुरंत शुरू करने और दिसंबर 2025 तक “फेज़ वाइज़ चुनावी सुधार” लागू करने का निर्देश दिया है। एक विश्वसनीय सूत्र के मुताबिक, सरकार ने संभावित चुनावी चरणों और निर्वाचन क्षेत्रों की समीक्षा के लिए एक तकनीकी समिति भी गठित कर दी है, जो अगले महीने अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
राजनीतिक दबाव और युवाओं की हुंकार
ढाका में हाल ही में आयोजित BNP की रैली में “युवाओं के अधिकार” और “लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली” की मांग की गई। कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने लंदन से वर्चुअली संबोधन देते हुए कहा कि यूनुस सरकार ने 10 महीने बीत जाने के बाद भी चुनाव की तारीख की घोषणा नहीं की है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ है।
क्या 2026 बहुत देर हो जाएगी ?
BNP का तर्क है कि पूर्व में कार्यवाहक सरकारें तीन महीने में चुनाव करवा चुकी हैं। ऐसे में यूनुस द्वारा सुझाई गई 6 से 12 महीने की समयसीमा को लेकर कई राजनीतिक विश्लेषक सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह सिर्फ चुनाव टालने की रणनीति है या वास्तव में सुधार प्रक्रिया को मजबूत करने की जरूरत है?
मुहम्मद यूनुस ने क्या कहा ?
यूनुस ने टोक्यो में एक जनसभा में कहा,”अगर सुधार धीमी गति से होते हैं, तो हमारे पास थोड़ा लंबा समय होगा। लेकिन यह अनिश्चित काल तक नहीं चल सकता। हमें जून 2026 तक हर हाल में चुनाव कराना होगा।”
रिएक्शन: विपक्ष भड़का, सत्तारूढ़ पार्टी सतर्क
BNP के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने प्रतिक्रिया में कहा, “यूनुस साहब की तारीखें धुंधली हैं, यह लोगों को भ्रमित करने की कोशिश है। हमें ठोस रोडमैप चाहिए।” वहीं सत्तारूढ़ लीग के प्रवक्ताओं ने बयान का स्वागत करते हुए कहा, “कम से कम एक स्पष्ट दिशा तो मिली। अब सभी दलों को संवाद के लिए आगे आना चाहिए।”
फॉलोअप: EC की भूमिका होगी निर्णायक
अब सबकी नजर बांग्लादेश चुनाव आयोग (EC) पर है, जिसे 2025 के अंत तक निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अपनी तैयारी और नीतिगत रूपरेखा स्पष्ट करनी होगी।
क्या EC विपक्षी दलों की शंका को दूर कर पाएगा?
क्या सुरक्षा और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी चुनौतियों को छह महीने में संभाला जा सकेगा? साइड एंगल: युवाओं की राजनीति में वापसी की लड़ाई
BNP की हालिया रैली में 18 से 30 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं की बड़ी भागीदारी एक स्पष्ट संकेत है कि बांग्लादेश में राजनीतिक चेतना फिर से जाग रही है। यह नई पीढ़ी, जो पहले बेरुखी दिखा रही थी, अब “राइट टू वोट” और “राइट टू चेंज” जैसे मुद्दों को लेकर मैदान में उतर रही है। यूनुस की घोषणा इस युवाशक्ति को संतुष्ट कर पाएगी या नहीं, यह आने वाले हफ्तों में साफ होगा।
विश्लेषण :बांग्लादेश में लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा
बांग्लादेश इस समय एक राजनीतिक संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। युवा आंदोलन, अंतरराष्ट्रीय दबाव और आंतरिक असंतोष-सब मिल कर देश को चुनाव के रास्ते की ओर धकेल रहे हैं। यूनुस की घोषणा भले ही एक समय सीमा की उम्मीद देती हो, लेकिन चुनावी तारीख तय न होना अब भी राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ा रहा है।