Indus Water Treaty Suspension: भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति को लेकर दुनिया भर की निगाहें इस समय दोनों देशों पर टिकी हुई हैं। अमेरिका की पहल पर भारत और पाकिस्तान ने शनिवार को सैन्य संघर्ष विराम (India Pakistan Ceasefire) पर सहमति जताई है, लेकिन इस समझौते का पाकिस्तान में जल संकट (Water Crisis Pakistan) पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भारत की ओर से ऑपरेशन सिन्दूर (Operation Sindoor) की बागडोर संभालने वाली भारतीय सेना की विंग कमांडर व्योमिकासिंह ने ट्वीट कर कहा है कि सिंधु जल संधि का निलंबन (Indus Water Treaty Suspension) अप्रभावी रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत ने अभी केवल “पहले गोली नहीं चलाने” पर सहमति जताई है। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान की पानी की आपूर्ति पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, और यह समस्या निरंतर बनी रहेगी।
Update: The Indus water treaty suspension will remain unaffected. India has Just agreed for "no first bullet" only.
— Wing Comm Vyomika Singh (@VyomikaaSingh) May 10, 2025
आखिर क्या है सिंधु जल संधि?
भारत और पाकिस्तान के बीच सन 1960 में सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) हुई थी, जिसके तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के वितरण को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था। इसके तहत पाकिस्तान को सिंधु, रावी और चिनाब नदियों का पानी उपयोग करने का अधिकार था, जबकि भारत को सतलज, ब्यास, और सिंधु की अन्य शाखाओं का पानी इस्तेमाल करने का अधिकार था। हालांकि, इस समझौते के तहत पाकिस्तान के पास हर साल पानी की आवंटन की सीमित मात्रा होती है।
दोनों देशों के बीच इस समझौते को लेकर विवाद गहराया
पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन सिन्दूर के बाद, दोनों देशों के बीच इस समझौते को लेकर विवाद गहरा गया है। भारत ने सिंधु जल संधि का निलंबन कर दिया था और पाकिस्तान के पानी की आपूर्ति में कटौती की योजना बनाई थी, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान में पानी की गंभीर कमी हो सकती है।
भारत का सैन्य कदम: “पहले गोली नहीं चलाने” पर सहमति
भारत ने पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष विराम के लिए सहमति जताई है, लेकिन यह एक अस्थायी समाधान है। भारत ने यह साफ किया है कि उसने केवल “पहले गोली नहीं चलाने” पर सहमति दी है, और युद्धविराम की स्थिति में कोई स्थायी शांति समझौता नहीं हुआ है। व्योमिकासिंह के इस वाक्य को समझें, “भारत ने पाकिस्तान से सैन्य हिंसा को रोकने के लिए सहमति जताई है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जल विवाद को हल किया गया है।”
पाकिस्तान की जल संकट समस्या
पाकिस्तान पहले ही पानी की गंभीर किल्लत से जूझ रहा है। जलवायु परिवर्तन, नदियों के ऊपर बढ़ते दबाव और जल स्रोतों का अनुचित इस्तेमाल पाकिस्तान के पानी की आपूर्ति को संकटमय बना रहे हैं। भारत की ओर से सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद, पाकिस्तान की स्थिति और भी जटिल हो गई है। सिंधु जल संधि का निलंबन पाकिस्तान की कृषि और जीवनशैली को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है, जिससे भविष्य में गंभीर मानवीय संकट उत्पन्न हो सकता है।
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव
भारत ने हमेशा ही शांति की पहल की है, पाकिस्तान की प्रतिक्रिया अलग रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और अन्य नेताओं ने इस पर विरोध जताया है और इसे भारत की कूटनीतिक चाल के रूप में देखा है। पाकिस्तान का मानना है कि भारत का उद्देश्य केवल सैन्य दबाव बढ़ाना और जल संकट को हथियार बनाना है। पाकिस्तान ने बार-बार भारत से अपील की है कि वह सिंधु जल संधि को फिर से बहाल करे, ताकि पाकिस्तान को उसके पानी का सही और पर्याप्त हिस्से का मिल सके।
पाकिस्तान को जल संकट का सामना करना पड़ेगा
बहरहाल भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष विराम एक सकारात्मक कदम हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान को जल संकट का सामना करना पड़ेगा। भारत ने सिंधु जल संधि के निलंबन को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है, और इसका असर पाकिस्तान की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर साफ तौर पर नजर आएगा। इस स्थिति में, पाकिस्तान के पास केवल कूटनीतिक और वैश्विक दबाव के जरिये भारत से पानी की आपूर्ति को फिर से बहाल करने की संभावना होगी।