क्या कहती ही रिसर्च?
रडार तकनीक का उपयोग करते हुए इटली के पीसा विश्वविद्यालय के कोराडो मालंगा और स्कॉटलैंड के स्ट्रैथक्लाइड विश्वविद्यालय के फिलिपो बियोन्डी के नेतृत्व वाली टीम ने दावा किया है कि गीज़ा पिरामिडों के ठीक नीचे 6,500 फीट से ज़्यादा की गहराई में एक विशाल भूमिगत शहर फैला हो सकता है। शोधकर्ताओं ने सिंथेटिक अपर्चर रडार नामक एक नई रडार तकनीक का इस्तेमाल किया, जो प्राकृतिक रूप से होने वाली भूकंपीय हलचलों से होने वाले सूक्ष्म कंपन के साथ उपग्रह रडार डेटा को जोड़ती है। यह विधि भौतिक उत्खनन की ज़रूरत के बिना पृथ्वी की सतह के नीचे स्थित चीजों की 3D फोटोज़ पैदा करती हैं। इन फोटोज़ की रिसर्च से पता चलता है कि यह परिसर पिरामिडों से दस गुना बड़ा है। ऐसे में इसके एक शहर होने की संभावना जताई जा रही है।
2,100 फीट गहराई तक फैली हैं संरचनाएं
रिसर्च टीम का दावा है कि उन्होंने पिरामिडों के नीचे लगभग आठ ऊर्ध्वाधर बेलनाकार संरचनाएं ढूंढी हैं, जिन्हें शाफ्ट कहा जाता है। रिसर्च के अनुसार ये संरचनाएं 2,100 फीट गहराई तक फैली हैं। वहीं आलोचकों का इस बारे में कहना है कि यह प्रौद्योगिकी आमतौर पर उथली सतह का पता लगाने में उत्कृष्ट है, लेकिन ठोस भूवैज्ञानिक संरचनाओं में कुछ मीटर से आगे इसकी प्रभावशीलता काफी कम हो जाती है।