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पाकिस्तान पर नया संकट, IMF ने कर्ज के साथ लगाई 11 नई कठोर शर्तें

India Pakistan Tension: IMF ने पाकिस्तान को $7 बिलियन के बेलआउट पैकेज की अगली किस्त जारी करने से पहले 11 नई शर्तें लागू की हैं। ये शर्तें पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता को बढ़ाने और संरचनात्मक सुधारों को लागू करने के लिए लगाई गई हैं।

भारतMay 18, 2025 / 02:40 pm

Devika Chatraj

IMF approves 1 Billion loan to Pakistan

IMF approves 1 Billion loan to Pakistan

आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। IMF ने हाल ही में पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के तहत 1 अरब डॉलर की दूसरी किस्त जारी की, लेकिन इसके साथ 11 नई कठोर शर्तें भी थोप दीं। इन शर्तों ने पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक चुनौतियों को और गहरा दिया है।

IMF की नई शर्तें

बजट की मंजूरी: पाकिस्तान को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 17.6 ट्रिलियन रुपये (लगभग 63 अरब डॉलर) के संघीय बजट को जून 2025 तक संसद से पारित करना होगा, जिसमें 1.07 ट्रिलियन रुपये विकास व्यय के लिए निर्धारित हैं।
कृषि आयकर कानून: चारों प्रांतों को जून 2025 तक नए कृषि आयकर कानून लागू करने होंगे, जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से करदाता पंजीकरण, रिटर्न प्रोसेसिंग और अनुपालन सुनिश्चित करना होगा।

गवर्नेंस एक्शन प्लान: पाकिस्तान को IMF के गवर्नेंस डायग्नोस्टिक मूल्यांकन के आधार पर एक गवर्नेंस एक्शन प्लान प्रकाशित करना होगा, ताकि शासन में कमजोरियों को दूर किया जा सके।
वित्तीय क्षेत्र रणनीति: 2027 के बाद की अवधि के लिए एक दीर्घकालिक वित्तीय क्षेत्र रणनीति तैयार करनी होगी, जिसमें 2028 से शुरू होने वाली नियामक और संस्थागत सुधार शामिल हों।

आर्थिक सुधार: कर आधार को बढ़ाने, सब्सिडी में कटौती, और राजकोषीय अनुशासन को मजबूत करने जैसे संरचनात्मक सुधारों को लागू करना होगा।
निगरानी और अनुपालन: IMF ने पाकिस्तान से कर्ज के उपयोग पर सख्त निगरानी और पारदर्शिता की मांग की है, विशेष रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए कि फंड का दुरुपयोग न हो।

क्लाइमेट रेजिलिएंस: 1.4 अरब डॉलर की रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फेसिलिटी (RSF) के तहत जलवायु परिवर्तन और आपदा तैयारियों के लिए नीतियां लागू करनी होंगी।
सैन्य खर्च में कटौती: IMF ने सैन्य खर्चों को कम करने की सलाह दी है, जो संघीय बजट का 16% हिस्सा है, ताकि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया जा सके।

आतंकवाद पर नियंत्रण: भारत-पाक तनाव को देखते हुए IMF ने चेतावनी दी है कि क्षेत्रीय अस्थिरता आर्थिक सुधारों को पटरी से उतार सकती है।
कर संग्रह बढ़ाना: कर चोरी रोकने और अछूते क्षेत्रों पर कर लगाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।

ऊर्जा क्षेत्र सुधार: बिजली सब्सिडी को कम करने और ऊर्जा क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा देना होगा।

पाकिस्तान के लिए चुनौतियां

इन शर्तों ने पाकिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि सैन्य खर्च में कटौती और नए कर कानून लागू करना सरकार के लिए राजनीतिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि सैन्य और धार्मिक समूहों का प्रभाव मजबूत है। इसके अलावा, भारत ने IMF के इस कर्ज को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है, यह दावा करते हुए कि पाकिस्तान इन फंड्स का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए कर सकता है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों को 14 करोड़ रुपये देने की योजना बनाई है, जो सीधे तौर पर IMF फंड्स के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है।

IMF की चेतावनी

IMF ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को अपने आर्थिक कार्यक्रम के लिए “गंभीर जोखिम” करार दिया है। संगठन ने कहा कि क्षेत्रीय अस्थिरता और सैन्य गतिविधियां पाकिस्तान की आर्थिक सुधार योजनाओं को बाधित कर सकती हैं। इसके साथ ही, IMF ने पाकिस्तान के पिछले खराब रिकॉर्ड को भी उजागर किया, जिसमें बार-बार कर्ज लेने और शर्तों का पालन न करने की प्रवृत्ति शामिल है।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब ने दावा किया कि भारत के साथ हालिया तनाव का आर्थिक प्रभाव सीमित होगा और इसे मौजूदा राजकोषीय ढांचे में समायोजित किया जा सकता है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि नई शर्तों को लागू करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा, खासकर तब जब देश पहले से ही उच्च मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और कर्ज के बोझ से जूझ रहा है।

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