अमेरिका को भारत की दो टूक, कहा- डेयरी प्रोडक्ट के आयात की नहीं देंगे अनुमति
American Dairy Product: भारतीय वार्ताकारों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक अमरीका अपने पशु आहार पद्धतियों में बदलाव नहीं करता, तब तक अमेरिका से पनीर और मक्खन जैसे दूध उत्पादों के आयात की अनुमति नहीं दी जा सकती।
India-America Trade Talk: अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस के भारत दौरे के बीच वाशिंगटन में बुधवार से दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते के लिए दूसरे दौर की वार्ता शुरू होने वाली है। व्यापार समझौते की दिशा में डेयरी उत्पादों के आयात को लेकर बड़ी सांस्कृतिक और नीतिगत अड़चन सामने आ रही है। हालांकि, भारत और अमेरिका के बीच इस साल के अंत तक एक व्यापक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिशें जारी हैं। नई दिल्ली में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उप-राष्ट्रपति जेडीवेंस से मुलाकात की। दोनों नेताओं में व्यापार, रक्षा, प्रौद्योगिकी के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई। इस बीच, विदेश मंत्री निर्मला सीतारमण ने सैन फ्रांसिस्को में कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते का पहला चरण सितंबर-अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा।
‘अमेरिकी डेयरी प्रोडेक्ट को नहीं दी जा सकती अनुमति’
दरअसल, कृषि और डेयरी दो ऐसे क्षेत्र है, जिन्हें अमेरिका के लिए पूरी तरह खोलने में भारत को परेशानी है। देश की कृषि उपज को संरक्षित करने के साथ-साथ सांस्कृतिक बाधाएं भी सामने आ रही हैं। भारतीय वार्ताकारों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक अमरीका अपने पशु आहार पद्धतियों में बदलाव नहीं करता (विशेष रूप से मांस-आधारित चारे का उपयोग बंद करना) तब तक अमेरिका से पनीर और मक्खन जैसे दूध उत्पादों के आयात की अनुमति नहीं दी जा सकती। दूसरी तरफ चीन के साथ बढ़ते व्यापार तनाव के कारण अमेरिका अपने कृषि और डेयरी उत्पादों को भारत में निर्यात करना चाहता है।
ग्रीन डॉट प्रक्रिया से गुजरने पर मिल सकती है अनुमति
भारत चाहता है कि इन उत्पादों को केवल तभी अनुमति दी जाए जब वे देश के ‘शाकाहारी प्रमाणन’ (ग्रीन डॉट) की प्रक्रिया से गुजरे हों। यह सिर्फ व्यापार का मामला नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं का प्रश्न है। भारतीय कानून दूध और मांस देने वाले पशुओं (मुर्गी और मछली को छोड़कर) के आहार में मांस, हड्डी, रक्त या अंगों से बने किसी भी पदार्थ के उपयोग को सख्त रूप से प्रतिबंधित करता है। वहीं पश्चिमी देशों में ऐसा आहार सामान्य रूप से प्रयोग होता है।
साल के अंत तक भारत आ सकते है ट्रंप
इस बीच, मोदी-वेंस की मुलाकात पर आधिकारिक बयान में बताया गया कि डोनाल्ड ट्रंप इस साल के अंत में भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। यात्रा की सही तारीख और समय की अभी पुष्टि नहीं हुई है। बताया गया कि मोदी ने कहा कि ट्रंप की भारत यात्रा की वह प्रतीक्षा कर रहे हैं। मोदी ने ट्रंप को हार्दिक शुभकामनाएं भेजी हैं।
बीमारी भी है बड़ी चिंता का कारण
– अमेरिका से चीन को निर्यात में हाल में गिरावट आई है। इसलिए वह भारत को एक नया डेयरी बाजार मान रहा है। – अमेरिका मानता है कि डेयरी प्रोडक्ट में भारत ने अनावश्यक कड़े नियम बना रखे हैं। इसका स्वास्थ्य से संबंध नहीं है।
– भारत में यह सिर्फ सांस्कृतिक विरोध ही नहीं, बल्कि ‘मैड काउ डिजीज’ जैसे मामलों से जुड़ी चिंता का सबब भी है।
वार्ता में टकराव के बिंदु
– अमेरिकी मेवों और फलों पर सीमा शुल्क में कटौती (बादाम, अखरोट, पिस्ता) पर भारत विचार कर रहा है।
– अमेरिका की ओर से जीएम फसलों को अनुमति, ई-कॉमर्स में नियमों में ढील की मांग की जा रही है। – अमेरिका यह भी चाहता है कि भारत एमएसपी प्रणाली में सुधारे और दवा पेटेंट नियमों में नरमी बरते।
– भारत घरेलू किसानों को बचाने के लिए कृषि बाज़ार खोलने से बचना चाहता है।
– वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 86.51 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष 77.52 अरब डॉलर था। इस दौरान भारत का व्यापार अधिशेष भी 16.6 फीसदी बढ़कर 41.18 अरब डॉलर हो गया।
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