तुर्किये का विरोध क्यों?
तुर्किये का यह कदम इस तथ्य से जुड़ा हुआ है कि वह इज़राइल के साथ अपने रिश्तों में उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा है। तुर्किये ने इज़राइल के खिलाफ कई बार विरोध सार्वजनिक किया है, विशेष रूप से फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में इज़राइल की नीतियों के संबंध में उसने विरोध दर्ज कराया है। ध्यान रहे कि तुर्किये एक प्रमुख मुस्लिम देश है और उसने फ़िलिस्तीनी मुद्दे पर इज़राइल कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आलोचना भी की है।
मध्य-पूर्व क्षेत्र में पैदा हो सकती है और अधिक अस्थिरता
तुर्किये का कहना है कि नाटो जैसे सैन्य गठबंधन का उद्देश्य शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देना है, लेकिन इज़राइल के संदर्भ में नाटो के कदम इससे विपरीत मालूम होते हैं। तुर्किये का यह भी मानना है कि इज़राइल के नाटो के युद्धाभ्यास में शामिल होने से मध्य-पूर्व क्षेत्र में और अधिक अस्थिरता पैदा हो सकती है।
नाटो के सैन्य अभ्यास का उद्देश्य
नाटो की ओर से आयोजित सैन्य अभ्यास का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना और विभिन्न परिस्थितियों में सामूहिक सुरक्षा तैयारियों को मजबूत करना है। दरअसल यह अभ्यास एकतरफा सैन्य अभियानों के लिए नहीं, बल्कि सामूहिक रक्षा और साझेदारी को प्रोत्साहित करने के लिए होता है। हालांकि, नाटो में इज़राइल की भागीदारी पर विवाद उठता है, क्योंकि इज़राइल नाटो का सदस्य नहीं है, लेकिन वह अक्सर नाटो के साथ रणनीतिक साझेदार के रूप में जुड़ा हुआ रहता है।
इज़राइल का नाटो के साथ संबंध
इज़राइल हालांकि नाटो का आधिकारिक सदस्य नहीं है, फिर भी उसे नाटो के साथ एक करीबी साझेदारी बनाए रखने का पूरा लाभ मिलता है। असल में इज़राइल को सैन्य उपकरणों और खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान में सहयोग मिलता है। इसके अलावा, उसने मध्य-पूर्व में पश्चिमी देशों के हितों को संरक्षण देने के लिए नाटो के साथ खूब सैन्य सहयोग किया है।
तुर्किये और नाटो के रिश्ते
तुर्किये नाटो का सदस्य होने के बावजूद, समय-समय पर पश्चिमी देशों के साथ असहमतियां दर्ज करवा चुका है। तुर्किये का कहना है कि नाटो को एक वैश्विक शक्ति के रूप में भूमिका निभानी चाहिए, लेकिन कभी-कभी उसे पश्चिमी देशों की नीति के प्रति अधिक झुकाव दिखाई देता है। यानि वह निष्पक्ष नहीं है। तुर्किये का मानना है कि नाटो को मध्य-पूर्व के मामलों में भी अधिक निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, और उसकी नीतियां पूरी तरह से पश्चिमी देशों के पक्ष में नहीं होनी चाहिए।
भविष्य में क्या हो सकता है?
तुर्किये की ओर से इज़राइल के नाटो के सैन्य अभ्यास में शामिल होने पर वीटो का इस्तेमाल एक संकेत है कि तुर्किये अपने विदेश नीति में स्वतंत्रता और स्वायत्तता बनाए रखना चाहता है। यह कदम नाटो में तुर्किये की पोजीशन को चुनौती दे सकता है और इससे नाटो के अन्य सदस्य देशों के साथ रिश्तों में खटास आ सकती है।
तुर्किये और नाटो के बीच तनाव और बढ़ सकता है
बहरहाल तुर्किये का यह कदम न केवल इज़राइल, बल्कि नाटो के साथ उसकी नीति को लेकर भी महत्वपूर्ण सवाल खड़े करता है। क्या तुर्किये भविष्य में ऐसे और कदम उठाएगा? क्या नाटो अपनी सदस्यता और साझेदारी नीति में बदलाव करेगा? इन सवालों का उत्तर समय के साथ ही सामने आएगा, लेकिन यह जरूर स्पष्ट है कि तुर्किये और नाटो के बीच तनाव और बढ़ सकता है।