ईरानी जनता से अपील: “संघर्ष ही सम्मान है”
आयशा ने ईरानी जनता को उन देशों की मिसालें दीं जो संघर्ष करते रहे — क्यूबा, वेनेजुएला, उत्तर कोरिया और फिलिस्तीन — और उन देशों का हश्र भी बताया जो झुक गए।“सब्र न खोएं”- एक बेटी की अपील
यह खत केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत दर्द से भी भरा है। आयशा का परिवार, विशेषकर उनके पिता, मुअम्मर गद्दाफी , को पश्चिमी दखल और धोखे का शिकार मानता है।आखिर क्या है वायरल हो रहे इस पूरे खत का मजमून
हे महान और संघर्षशील ईरानी जनता!
मैं आपसे उन दुखों, विनाशों और धोखों के बाद बात कर रही हूँ जो मैंने अपने जीवन में देखे हैं। मैं उस स्त्री की आवाज़ हूँ जिसने अपने वतन की मौत को अपनी आंखों से देखा — और यह मौत किसी खुले दुश्मन के हाथों नहीं, बल्कि पश्चिम की धोखेबाज़ मुस्कानें और झूठे वादों के कारण हुई।
मैं आपको चेतावनी देती हूँ!
पश्चिमी साम्राज्यवाद की मीठी बातें और सुंदर नारे झूठ का जाल हैं। यही वे लोग हैं जिन्होंने मेरे पिता (मुअम्मर क़ज़ाफ़ी) से कहा था: “अगर आप अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को छोड़ देंगे, तो दुनिया आपके लिए खुल जाएगी।”
मेरे पिता ने सच्चे मन से बातचीत का रास्ता अपनाया, लेकिन हमने देखा कि कैसे नाटो की बमबारी ने लीबिया को खून और राख में बदल दिया, और हमारे लोगों को गुलामी, गरीबी और बेघरी की ओर धकेल दिया।
हे ईरानी भाइयो और बहनो!
आपका प्रतिरोध, आपका स्वाभिमान, और आर्थिक व मीडिया हमलों के सामने आपकी स्थिरता — ये आपकी कौम की जिंदगी और इज़्ज़त की निशानी हैं। समझौता केवल तबाही, विभाजन और बर्बादी लाता है। भेड़िए से बातचीत बकरी को नहीं बचाती — वो तो बस उसके अगले शिकार का समय तय करती है!
हमने देखा है कि जो कौमें डटी रहीं — क्यूबा, वेनेजुएला, उत्तर कोरिया और फिलिस्तीन — वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं और इतिहास उन्हें सम्मान से याद करता है। और हमने यह भी देखा है कि जो झुक गए, आत्मसमर्पण कर दिए – वे अपनी ही राख में खो गए।
प्यार और सहानुभूति के साथ
आयशा गद्दाफी , लीबिया।
तब यह पोस्ट क्यों वायरल हो रही है ?
ईरान और इज़राइल-अमेरिका के बीच चल रहे युद्ध के बीच, यह पोस्ट एक “अंदर से आवाज़” की तरह सामने आई है जो पश्चिमी देशों की नीतियों और वादों पर अविश्वास को उजागर करती है। आयशा की इस पोस्ट में उनका निजी दुख और अंतरराष्ट्रीय राजनीति की आलोचना गहराई से झलकती है। यह संदेश युवाओं, राजनीतिक विश्लेषकों और प्रतिरोध समर्थक सोशल मीडिया नेटवर्कों में भावनात्मक हथियार की तरह साझा किया जा रहा है।इस पोस्ट के मुख्य संदेश:
अमेरिका और पश्चिम पर भरोसा मत करो। मुझे और मेरे देश को भी मीठे वादों से धोखा दिया गया था। ईरान को अपने आत्मसम्मान, प्रतिरोध और एकता को बनाए रखना चाहिए।
ईरान की जनता के लिए संदेश: सब्र और प्रतिरोध
आयशा का यह बयान एक तरह से चेतावनी है: “पश्चिम के साथ समझौता करके हमने क्या पाया? तबाही।ईरानियों, आप भी सब्र करें, पीछे मत हटें, क्योंकि समझौता केवल अगला हमला तय करता है।”