135 मतदान योग्य कार्डिनल
इसका कारण उन आंकड़ों में छुपा है, जो कि खुद फ्रांसिस के शासनकाल में तेजी से बदलते गए। यूरोप की पॉलटिको मैग्जीन के अुनसार, अपने पोपत्व के दौरान फ्रांसिस ने पारंपरिक पश्चिमी सत्ता के आधार से बाहर से मतदान की आयु के 50 कार्डिनल नियुक्त किए हैं। इस तरह फ्रांसिस ने चर्च के भौगोलिक संतुलन को नाटकीय रूप से बदल दिया। यह संख्या मौजूदा करीब 135 मतदान योग्य कार्डिनल की संख्या की लगभग आधी है। फ्रांसिस ने लॉस एंजिल्स और सैन फ्रांसिस्को जैसे प्रमुख इलाकों के पादरियों को नजरअंदाज करते हुए सेंट लूसिया के छोटे कैरिबियन द्वीप में ब्रिजटाउन और इंडोनेशिया के दस लाख से कम आबादी वाले शहर बोगोर से पोप चुने।2025 के चुनाव में बदल गई हैं प्राथमिकताएं
पोप बेनेडिक्ट सोलहवें के इस्तीफे से स्तब्ध होने वाले कार्डिनल कॉन्क्लेव की प्राथमिकता थी कि कैसे यूरोप के सत्ता संघर्ष से दूर एक ऐसे धार्मिक लीडर का चुनाव किया जाए, जिसमें यौन और वित्तीय घोटालों से ग्रस्त संस्था का नेतृत्व संभालने के लिए पर्याप्त साहस हो और अपनी बात पूरी दुनिया तक पहुंचा सके। लेकिन फ्रांसिस की मृत्यु के बाद जब 7 मई को नए पोप चुनाव सम्मेलन के लिए कार्डिनल एकत्र होंगे तो अब वे एक गंभीर और ईसाइ जगत में एकता स्थापित व्यक्ति की तलाश में होंगे। जो फ्रांसिस की क्रांतिकारी शैली से हिल चुके संस्थान को एक साथ जोड़ सके और चर्च की केंद्रीय सरकार में स्थिरता ला सके।पहली बार दौड़ में हैं एशियाई, अफ्रीकी, अमेरिकी कार्डिनल