scriptट्रंप ने स्विट्ज़रलैंड में अमेरिका-चीन टैरिफ वार्ता को “टोटल रिसेट” क्यों बताया | Trump Hails "Total Reset" After US-China Trade Talks | Patrika News
विदेश

ट्रंप ने स्विट्ज़रलैंड में अमेरिका-चीन टैरिफ वार्ता को “टोटल रिसेट” क्यों बताया

Trump tariffs: स्विट्ज़रलैंड में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता के बाद ट्रंप ने इसे “टोटल रिसेट” बताया और कहा कि दोनों देशों ने सकारात्मक तरीके से कई मुद्दों पर सहमति जताई है।

भारतMay 11, 2025 / 02:27 pm

M I Zahir

US china new trade war.

US china new trade war.

US-China trade War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने स्विट्ज़रलैंड में आयोजित एक ट्रंप ने स्विट्ज़रलैंड में अमेरिका-चीन टैरिफ वार्ता (US-China trade talks) को “टोटल रिसेट”(Total Reset) की संज्ञा दी। यह वार्ता चीन और अमेरिका के बीच चल रहा टैरिफ युद्ध (Tariff dispute) खत्म करने के प्रयासों का हिस्सा थी। इस वार्ता में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जैमीसन ग्रीयर और ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेस्टेंट ने चीन के उप प्रधानमंत्री हे लीफेंग के साथ मुलाकात कर दोनों देशों के बीच (US-China relations) महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। ट्रंप ने इस बैठक के बाद कहा कि दोनों पक्षों ने सकारात्मक और रचनात्मक तरीके से बातचीत की है और उनके बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी है। हालांकि, ट्रंप ने इस प्रगति के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी, जिससे व्यापार विशेषज्ञों और निवेशकों में संदेह बना हुआ है।

ताकि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव खत्म किया जा सके

यह वार्ता स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में आयोजित की गई, जो एक तटस्थ स्थान था, ताकि दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव खत्म किया जा सके। जबकि अमेरिकी पक्ष का ध्यान चीन के व्यापार से संबंधित निर्यात-निवेश के मुद्दों पर था, चीन का कहना था कि उसे अमेरिकी शुल्क कम करने की जरूरत है और अमेरिका को व्यापार में बराबरी का व्यवहार करना चाहिए।

क्या यह बातचीत किसी ठोस समझौते में बदलती है या फिर तनाव और बढ़ेगा

दोनों देशों के बीच चल रहे इस व्यापार विवाद से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है, और आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि क्या यह बातचीत किसी ठोस समझौते में बदलती है या फिर तनाव और बढ़ता है।

ट्रंप ने टैरिफ वार कब शुरू की?

डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी 2018 में चीन के खिलाफ टैरिफ लगाना शुरू किया था। शुरू में, उन्होंने स्टील और एल्यूमिनियम पर 25% और 10% शुल्क लगाने का निर्णय लिया था। इसका मुख्य कारण था कि उनका आरोप था कि चीन अपनी वस्त्रों और अन्य उत्पादों को वैश्विक बाजार में अन्यायपूर्ण तरीके से सस्ता बेचता है, जिससे अमेरिकी उद्योगों को नुकसान हो रहा था। इसके बाद, ट्रंप प्रशासन ने चीन के उपभोक्ता उत्पादों, जैसे कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक्स पर भी टैरिफ बढ़ा दिए। 2018 के अंत तक यह युद्ध और भी तेज हो गया, जब दोनों देशों ने एक-दूसरे के सामान पर सैंकड़ों अरबों डॉलर के टैरिफ लगाने की घोषणा की। ट्रंप ने अ​पने दूसरे कार्यकाल में यह जोरशोर से शुरू किया।

टैरिफ पर ट्रंप का रुख,अमेरिकी व्यापार फिर से बढ़ाने” का वादा

ट्रंप का रुख अत्यधिक आक्रामक रहा और उन्होंने “अमेरिकी व्यापार फिर से बढ़ाने” का वादा किया। उनका मानना था कि चीन ने अमेरिकी कंपनियों का शोषण किया है और इसके कारण अमेरिका के उद्योगों को नुकसान हो रहा है। उनके मुताबिक, चीन ने प्रौद्योगिकी चोरी और न्यायसंगत व्यापार परंपराएं अपनाई थीं, जिनके कारण अमेरिकी उत्पादन और व्यापार प्रभावित हुए। ट्रंप ने यह भी कहा कि इन टैरिफ के जरिए अमेरिका को चीन से ज्यादा ट्रेड बैलेंस मिलेगा, और इस कदम से चीन को मजबूर किया जाएगा कि वह अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौते को फिर से संतुलित करे। इसके अलावा, फेंटेनल जैसे खतरनाक रसायनों की चीन से आने वाली आपूर्ति को रोकने के लिए भी उन्होंने टैरिफ को एक रणनीति के रूप में देखा था।

टैरिफ पर चीन का रुख अत्यधिक आक्रामक और न्यायसंगत

चीन ने ट्रंप के टैरिफ को “अत्यधिक आक्रामक” और “न्यायसंगत” माना। चीन का कहना था कि व्यापार के मुद्दों को शांति और संवाद के माध्यम से हल किया जा सकता है, ना कि टैरिफ जैसे कदमों से हल किया जा सकता है। चीन ने जवाब में अमेरिकी उत्पादों पर अपना टैरिफ बढ़ा दिया, जैसे सोया बीन्स, गाड़ी के पुर्जे और हवाई जहाज। चीन के लिए यह कदम आंतरिक दबाव और अमेरिकी उत्पादों को महंगा करने के कारण कठिन साबित हुआ, लेकिन उन्होंने इसे अपनी “व्यापारिक अधिकारों” की रक्षा के रूप में देखा।

चीन ने “आर्थिक स्वतंत्रता” का पक्ष लिया

बहरहाल चीन ने बार-बार कहा कि “वह किसी भी प्रकार के एकतरफा व्यापार निर्णय स्वीकार नहीं करेगा” और अमेरिकी व्यापारिक दबाव का जवाब देने के लिए तैयार था। इसके साथ ही, चीन ने “आर्थिक स्वतंत्रता” का पक्ष लिया, और यह भी दावा किया कि अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ के कारण वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

Hindi News / World / ट्रंप ने स्विट्ज़रलैंड में अमेरिका-चीन टैरिफ वार्ता को “टोटल रिसेट” क्यों बताया

ट्रेंडिंग वीडियो