यह पर्व पूर्णतया सूर्य देव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर साधक गंगा नदी में स्नान करते हैं। साथ ही मां गंगा और सूर्य देव की पूजा करते हैं। सुविधा न होने पर घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करते हैं। इसके बाद भक्ति भाव से सूर्य देव की पूजा करते हैं।
भानु सप्तमी पूजा का महत्व (Bhanu Saptami 2025 Puja Ka Mahatv)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि सूर्य देव की उपासना करने से साधक को हर काम में सफलता मिलती है। साथ ही शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। भानु सप्तमी शुभ मुहूर्त (Bhanu Saptami 2025 Muhurt)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 19 अप्रैल को शाम 06:21 बजे शुरू होगी। वहीं, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि का समापन 20 अप्रैल को शाम 07 बजे होगा। उदया तिथि की गणना से 20 अप्रैल को भानु सप्तमी मनाई जाएगी।त्रिपुष्कर योग में भानु सप्तमी पूजा का मनोवांछित फल
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि भानु सप्तमी पर दुर्लभ त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। इस योग का संयोग सुबह 11:48 बजे बन रहा है। वहीं, त्रिपुष्कर योग का समापन शाम 07 बजे होगा। इस दौरान सूर्य देव की पूजा एवं उपासना करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।भानु सप्तमी पर सिद्ध योग, बनने लगेंगे बिगड़े काम (Bhanu Saptami Yog)
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार भानु सप्तमी पर सिद्ध योग का भी संयोग है। सिद्ध योग देर रात 12 13 बजे तक है। भानु सप्तमी पर सिद्ध योग में सूर्य देव की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता मिलेगी। साथ ही सभी बिगड़े काम बनने लगेंगे। इसके अलावा, आरोग्यता का वरदान भी मिलता है। इस शुभ अवसर पर पूर्वाषाढ़ और उत्तराषाढ़ नक्षत्र का भी संयोग है।

भानु सप्तमी पूजा विधि (Bhanu Saptami Puja Vidhi)
1.भानु सप्तमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहा लें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। 2. फिर सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य दें। इसमें शुद्ध जल के साथ थोड़ा लाल चंदन, अक्षत (चावल) और लाल फूल डालें।क्यों मनाते हैं भानु सप्तमी
ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार जब पहली बार सूर्य का प्रकाश धरती पर पड़ा था, उस दिन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी। तभी से हर सप्तमी को भानु सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। इसलिए हर महीने में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की सप्तमी पर भानु सप्तमी मनाई जाती है।
मान्यता है कि इस दिन जो भी भक्त सच्चे मन से व्रत रखता है और पूजा करता है, उस पर सूर्य देव की विशेष कृपा होती है। माना जाता है कि इस व्रत से शरीर की बीमारियां दूर होती हैं, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में नई ऊर्जा आती है।