चूंकि तिथि का उदय 6 जून को हो रहा है, इसलिए व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा। लेकिन उदया तिथि 7 जून को भी है, ऐसे में निर्जला एकादशी दो दिन रखी जाएगी। धार्मिक नियमानुसार जिस साल दो दिन की एकादशी पड़ती है तो पहले दिन स्मार्त, गृहस्थ और दूसरे दिन वैष्णव साधु संत निर्जला एकादशी व्रत रखते हैं।
निर्जला एकादशी के दोनों दिन का पारण समय (Nirjala Ekadashi Paran Time 2025)
निर्जला एकादशी व्रत स्मार्त: शुक्रवार 6 जून 2025निर्जला एकादशी पारण मुहूर्त : 07 जून की दोपहर 01.43 बजे से शाम 04.30 बजे तक (2 घंटे 46 मिनट)
हरि वासर समाप्त होने का समय : 07 जून की सुबह 11.28 बजे तक
नोटः पारण हरिवासर के बाद ही करना चाहिए।
निर्जला एकादशी व्रत वैष्णव: शनिवार 7 जून 2025
पारण (व्रत तोड़ने का) समयः 8 जून को सुबह 04:30 बजे से सुबह 07:15 बजे तक
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय -सुबह 07:17
निर्जला एकादशी पर शुभ योग (Nirjala Ekadashi Yog)
वैष्णवों के निर्जला एकादशी व्रत रखने के दिन यानी 7 जून 2025 को सुबह 5:24 बजे तक त्रिपुष्कर योग बनेगा। इसके अलावा द्विपुष्कर योग सुबह 4.47 बजे से 9.40 बजे तक, सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 9.40 बजे से 8 जून को सुबह 4.30 बजे तक रहेगा। इसके अलावा इस दिन वरीयान योग सुबह 11.18 बजे तक रहेगा।
निर्जला एकादशी व्रत पारण विधि (Nirjala Ekadashi Paran Vidhi)
1.निर्जला एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद हरि वासर बीतने के बाद किया जाता है। मान्यता है कि द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करने से व्रत का फल नहीं मिलता है। साथ ही यह कृत्य व्रत का अनादर और पाप करने के समान होता है।भूलकर भी न करें ये भूल (Not Make Mistake In Fast End)
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भूलकर भी नहीं करना चाहिए। जिन श्रद्धालुओं ने निर्जला एकादशी व्रत रखा है, उन्हें पारण के लिए हरि वासर (द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि) समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
वैसे तो व्रत तोड़ने का सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है और मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। लेकिन किसी कारण से सुबह पारण न कर पाने पर मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।