पहली बार सिप लाइन का साइबर ठगी में उपयोग
उन्होंने बताया कि पहली बार सामने आया है कि निजी कंपनी की सेवा के विज्ञापन को उपयोग की जाने वाली वैधानिक एसआईपी कॉल सेवा को आरोपियों ने साइबर ठगी में उपयोग किया है। इसके लिए अनुराग ने लवकेश और उसकी पत्नी तरुना वाधवा के नाम से सेट स्क्वेयर लर्निंग सोल्यूशन नाम की कंपनी खोली। अहमदाबाद के एसजी हाईवे पर थलतेज में कैंबे ग्रांड में नौवीं मंजिल पर ऑफिस खोली। यहां चाइनीज साइबर ठग गिरोह से जुड़ी हॉंगकॉंग की महिला सिन्डी वांग से मिलकर अहमदाबाद में तीन वीओआईपी के एसआईपी लाइन के तीन सर्वर स्थापित किए।
इरान, ईराक, थाईलैंड के नंबर का भी उपयोग
उपायुक्त सिन्हा ने बताया कि साइबर ठग गिरोह अब तक चाइना , कंबोडिया के नंबरों का उपयोग करता था। पहली बार सामने आया कि ये मलेशिया, ईराक, ईरान के नंबरों का भी उपयोग करते हैं। इन नंबरों को जर्मनी स्थित सर्वर से अहमदाबाद में स्थापित एसआईपी लाइन सर्वर पर डायवर्ट करते। ये भारतीय नंबरों को डिस्प्ले करके ट्राइ अधिकारी बन कॉल करके लोगों को ठगते थे।
4 दिन में किए 65 हजार कॉल, 45 केस
उपायुक्त सिन्हा ने बताया कि अहमदाबाद स्थित सर्वर की मदद से 20-24 अप्रेल को चार दिन में देशभर में लोगों को 65 हजार कॉल किए गए। हर दिन एक लाख कॉल की क्षमता है। एक मिनट के कॉल के प्रति कॉल के लिए सिन्डी इन्हें 48 पैसे देती थी। इन्होंने 2.60 लाख लिए उससे लिए। ट्राई अधिकारी बन लोगों को फंसाकर डिजिटल अरेस्ट कर, इन्वेस्टमेंट फ्रॉड में फंसाकर गुजरात में 22, अन्य राज्यों में 23 लोगों सहित 45 लोगों से 40 लाख ठग लिए। एनसीसीपीआर पोर्टल पर शिकायतें दर्ज हैं।
करनाल जेल में हुई मुलाकात
लवकेश और अनुराग दोनों हरियाणा की करनाल सेंट्रल जेल में मिले थे। बाहर निकलकर दोनों ने ठगी का यह कार्य शुरू किया। लवकेश 10वीं तक पढ़ा है। वीजा ठगी में जेल में बंद था। अनुराग एमकॉम पढ़ा है। 18 साल से कॉल सेंटर, वीओआईपी के काम से जुड़ा है। यह डिजिटल अरेस्ट मामले में पकड़ा जा चुका है।