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अहमदाबाद

राजकोट अग्नि कांड को 1 साल पूरा, नहीं हो सके आरोप तय

27 लोगों की गई थी जान, इनमें 9 बच्चे थे शामिल राजकोट. अहमदाबाद. राजकोट सहित पूरे गुजरात को झकझोर देने वाले टीआरपी गेमज़ोन अग्निकांड को रविवार को एक साल हो चुका है। हालांकि, अब तक एक भी आरोपी के खिलाफ चार्ज फ्रेम नहीं हुआ है। एक के बाद एक डिस्चार्ज अर्जी दाखिल कर आरोपी मामले […]

अहमदाबादMay 24, 2025 / 10:38 pm

Rajesh Bhatnagar

27 लोगों की गई थी जान, इनमें 9 बच्चे थे शामिल

राजकोट. अहमदाबाद. राजकोट सहित पूरे गुजरात को झकझोर देने वाले टीआरपी गेमज़ोन अग्निकांड को रविवार को एक साल हो चुका है। हालांकि, अब तक एक भी आरोपी के खिलाफ चार्ज फ्रेम नहीं हुआ है। एक के बाद एक डिस्चार्ज अर्जी दाखिल कर आरोपी मामले को लंबा खींच रहे हैं। सरकारी पक्ष ने केस को रोजाना चलाने की मांग की है, लेकिन वह अर्जी भी अभी लंबित है। 15 में से 7 आरोपियों ने मामले से खुद को बरी करने के लिए डिस्चार्ज अर्जी दाखिल की है, जिन पर वर्तमान में सुनवाई चल रही है।
पिछले साल 25 मई की शाम को राजकोट के नाना मवा रोड पर स्थित टीआरपी गेमज़ोन में इस हादसे में 27 लोगों की जान गई थी, जिनमें 9 बच्चे शामिल थे। इस संबंध में पुलिस ने शिकायतकर्ता बनकर प्राथमिकी दर्ज की थी। इस घटना में 16 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। इस अग्निकांड में प्रकाशचंद हिरण की मौत हो गई। शेष 15 आरोपियों को गिरफ्तार कर रिमांड के बाद जेल भेजा गया था। इनमें से 4 आरोपी, जो नगर पालिका के इंजीनियर हैं, जमानत पर रिहा हैं। इनमें (1) गौतम जोशी, (2) मुकेश मकवाना, (3) जयदीप चौधरी, (4) राजेश मकवाना शामिल हैं। बाकी 11 आरोपी जेल में हैं। इनमें (1) धवल ठक्कर, (2) युवराजसिंह सोलंकी, (3) राहुल राठोड, (4) नितिन लोढ़ा, (5) अशोकसिंह जडेजा, (6) किरीटसिंह जडेजा, (7) महेश राठोड, (8) मनसुख सागठिया, (9) रोहित विगोरा, (10) भीखा ठेबा, (11) इलेश खेर शामिल हैं।
राजकोट सत्र न्यायालय में पुलिस की ओर से चार्जशीट दाखिल होने के बाद सबूत भी पेश किए गए। स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के माध्यम से सरकारी पक्ष ने केस शुरू कर दिया था। कोर्ट की ओर से आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम करने से पहले ही एक के बाद एक डिस्चार्ज अर्जी दाखिल हो गई। धवल ठक्कर, नितिन लोढ़ा, मनसुख सागठिया, गौतम जोशी, जयदीप चौधरी, राजेश मकवाना, और भीखा ठेबा की डिस्चार्ज अर्जी पर सुनवाई चल रही है। 5 डिस्चार्ज अर्जियों पर कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी हैं। बाकी दो डिस्चार्ज अर्जियों पर अगली सुनवाई 12 जून को होगी।

300 लोग थे मौजूद

गेम ज़ोन में लगभग 300 लोग मौजूद थे, जिनमें से कई बच्चे थे। आग लगने के कारणों की जांच अभी भी जारी है, लेकिन अनुमान यह है कि शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी हो सकती है।
गुजरात सरकार ने इस घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया। जांच टीम ने कई लोगों से पूछताछ की और विभिन्न दस्तावेज़ जब्त किए।

शवों की पहचान को डीएनए टेस्ट

आग में झुलसे कई शवों की पहचान करना मुश्किल था, इसलिए पुलिस ने डीएनए टेस्ट का सहारा लिया। इस टेस्ट के जरिए पता चला कि गेम ज़ोन के सह-मालिक प्रकाशचंद हिरण भी आग में मारे गए थे।
गुजरात सरकार ने इस घटना के बाद राज्य भर के गेम ज़ोन में आग सुरक्षा उपायों की जांच के आदेश दिए। साथ ही, लाइसेंस रहित गेम ज़ोन को सील करने के निर्देश भी दिए गए।

अग्निशमन विभाग से नहीं लिया था एनओसी

शुरुआती जांच में पता चला है कि गेम जोन के लिए अग्निशमन विभाग से कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं लिया गया था। आग बुझाने में दमकल और बचाव दल को दो घंटे से अधिक का समय लगा।

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