कई जगहों पर तो उनका अस्तित्व ही दांव पर लगा है। शहर में कई जगहों पर सुव्यवस्थित यातायात और लोगों की सहूलियत के लिए बनाए गए बस शैल्टर इसकी बानगी हैं, जो बदहाली का शिकार हो रहे हैं। ज्यादातर बस शैल्टर शो-पीस बन चुके हैं। इन पर रोडवेज-प्राइवेट बस नहीं रुकतीं और न ही यहां पर लोगों को शैल्टर मिल रहा है।
स्मार्ट सिटी योजना के प्रथम चरण में शहर को 1700 करोड़ रुपए का बजट आवंटित हुआ था। दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, मुंबई, बेंगलूरू और अन्य शहरों की तर्ज पर अजमेर में भी स्मार्ट बस शैल्टर बनाकर डिजिटल डिस्पले भी लगाए गए। जिससे रोडवेज, सिटी ट्रांसपोर्ट से सफर करने वालों को बैठने की सुविधा व निर्धारित स्टॉप मिले।
यह हैं हालात 1: घूघरा घाटी- जयपुर रोड, घूघरा, आरपीएससी और अन्य इलाकों के लोगों के लिए-शैल्टर के सामने कार रिपेयर वर्कशॉप हैं। यहां रोडवेज-प्राइवेट बस नहीं रुकती। 2: सेंट्रल जेल- जयपुर-ब्यावर जाने वाले और शहर के लोगों के लिए निर्मित शैल्टर पर खानाबदोशों का कब्जा। जयपुर की ओर आने-जाने वाले यात्री बोर्ड ऑफिस या सेशन कोर्ट से उचरते-चढ़ते हैं।
3: आरपीएससी- जयपुर, अजमेर-किशगढ़-ब्यावर से आने-जाने वालों के लिए शैल्टर पर बसें नहीं रुकती। लोग घूघरा घाटी, आरपीएससी, यूनिवर्सिटी तिराहा से बैठते हैं। 4: बधिर विद्यालय- पुष्कर-नागौर, मेड़ता और अजमेर के लोगों के लिए-शैल्टर के पास बाइक पार्किंग, चाय की थडिय़ां।
यहां बिना शैल्टर के बस स्टैंड. . .-जवाहर रंगमंच-सावित्री तिराहा। -आनासागर लिंक रोड-गौरव पथ तिराहा।-गौरव पथ-देवनारायण मंदिर के निकट। -रीजनल कॉलेज तिराहा, पुष्कर रोड।-एसपीसी-जीसीए चौराहा, स्टेशन रोड, क्लॉक टावर। -मदार गेट-अलवर गेट, नौ नंबर पेट्रोल पंप।