कॉलेज के शिक्षकों ने मदद की
धाया कहती हैं कि इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई की शुरुआत होते ही आर्थिक परेशानियां शुरू हो गई थीं। कई बार फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। उसकी योग्यता व लगन देख कॉलेज के शिक्षकों ने मदद की ठानी। कई शिक्षकों ने फीस जमा करा उसे प्रोत्साहित किया। निजी प्लेसमेंट कंपनियों ने भी परीक्षा और इंटरव्यू लेने के बाद छात्रवृत्ति शुरू की। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में हुआ चयन
धाया के पिता बताते हैं कि बारहवीं कक्षा के बाद आइआइटी में जाने की इच्छा बताई। तब उसे जेईई मेंस-एडवांस की तैयारी के लिए सीकर भेजा। उनका चयन जेईई मेंस के जरिए इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में हुआ। अब वह जॉब कर रही हैं।
धाया पिंडेल के पिता मात्र बारहवीं पास हैं। वह गांव में खेती करते हैं। मां निरक्षर हैं, परिवार में वही एकमात्र इंजीनियर हैं।- धाया पिंडेल