कैसे हुई हिंसा ?
गांव में जल जीवन मिशन के तहत पानी की लाइन बिछाई जा रही थी, जिसे लेकर सरपंच और जलदाय विभाग की लापरवाही के कारण विवाद शुरू हुआ। सुबह ग्रामीणों ने मामला शांत करा दिया, लेकिन दोपहर बाद फिर टंकी से पानी की नली दबाने को लेकर झगड़ा शुरू हो गया। देखते ही देखते बात इतनी बढ़ गई कि दोनों पक्षों में जमकर लाठी-डंडे चले और फायरिंग हो गई। आरोप है कि सरपंच तथा जलदाय विभाग की लापरवाही से यह आपसी झगड़ा हुआ है।
घायलों की स्थिति
गोली लगने से भगवान सिंह गंभीर रूप से घायल हुए, जिनका इलाज अलवर में चल रहा है। इसके अलावा, जितेंद्र सिंह, मीना कंवर, दशरथ सिंह, लक्ष्मीबाई, महावीर सिंह, सत्यवीर सिंह, भरत सिंह, जय सिंह, जगदीश सिंह, सीताराम, दीनदयाल, वीरू सिंह और रसाल कंवर सहित कई लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। सभी को पहले मालाखेड़ा अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद गंभीर घायलों को अलवर रेफर कर दिया गया।
परिवार के ही लोग बने दुश्मन
बताया जा रहा है कि दोनों पक्ष एक ही दादा की संतान हैं, लेकिन पानी की नली को लेकर रंजिश इतनी बढ़ गई कि परिवार के लोग ही एक-दूसरे के खून के प्यासे बन गए। भगवान सिंह के पुत्र भरत सिंह ने आरोप लगाया कि उनका बिजली कनेक्शन सरकार ने कर दिया था, जिसे लेकर दूसरे पक्ष के लोग पहले से नाराज थे। आज पानी के विवाद पर उन्होंने मिलकर हमला कर दिया और उनके पिता को गोली मार दी। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और घायलों का इलाज जारी है।