scriptHoli 2025: राजस्थान की इस खास होली को देखने दर्जनों गांवों के लोग आते हैं, खेली जाती है ब्रज की लट्ठमार होली की तर्ज पर | Holi 2025: People from dozens of villages come to see this special Holi of Rajasthan, it is played on the lines of Lathmar Holi of Braj | Patrika News
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Holi 2025: राजस्थान की इस खास होली को देखने दर्जनों गांवों के लोग आते हैं, खेली जाती है ब्रज की लट्ठमार होली की तर्ज पर

Holi 2025: राजस्थान के सिंहद्वार एवं मेवात अंचल का कस्बा नौगांवा जहां अपने परम्परागत त्योहारों के लिए दूर-दूर तक जाना जाता रहा है। ब्रज की लट्ठमार होली की तर्ज पर कस्बे की डोलची मार होली का तो कहना ही क्या।

अलवरMar 13, 2025 / 09:01 pm

Santosh Trivedi

holi ke upay

प्रतीकात्मक तस्वीर

हितेश भारद्वाज

Holi 2025: नौगांवा। होली का नाम लेते ही बरसाने की लट्ठमार और फूलों की होली नजारा आंखों के सामने आ जाता है। नौगांवा की डोलची मार होली भी एक अलग पहचान लिए हुए है। बदलते वक्त और बढती व्यस्तताओं के बीच भी होली अपनी उसी रंगत से खेजी जाती है। आज भी कुर्ता फाड़ और डोलची मार होली मनाने का लगाव रखने वाले लोग खुद को होली खेलने से नहीं रोक पाते।
राजस्थान के सिंहद्वार एवं मेवात अंचल का कस्बा नौगांवा जहां अपने परम्परागत त्योहारों के लिए दूर-दूर तक जाना जाता रहा है। ब्रज की लट्ठमार होली की तर्ज पर कस्बे की डोलची मार होली का तो कहना ही क्या। डोलची मार होली देखने को आसपास के दर्जनों गांवों के लोग जमा होते हैं। कस्बे में यह कार्यक्रम दो दिन तक मनाया जाता है।
नौगांवा नगर पालिका चेयरमैन राजीव सैनी ने बताया कि पहले दिन दोनों पक्षों के लोग ढोलों पर गीत ख्याल गाते हुए होलिका दहन स्थल पर पहुंचते हैं। यहां गांव के खेडापति की ओर से विधि विधान पूर्वक होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है। यहां से चलकर सभी लोग चौपड बाजार पहुंचते हैं, जहां पर कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक प्रस्तुति दी जाती है। कार्यक्रम को देखने के लिए कस्बा नौगांवा सहित आसपास के क्षेत्र के लोग बडी संख्या में आते हैं।

ऐसे खेली जाती है डोलची मार होली

धुलंडी पर सुबह दस बजे तक रंग-गुलाल की होली खेली जाती है। दस बजे बाद ढोल नगाडों और डीजे की धुनों के साथ नाचते गाते लोग श्रीसीताराम मन्दिर चौक के लिए रवाना होते हैं। रास्ते में लोग इन पर रंग-गुलाल डालते रहते हैं और कस्बे के लोग श्रीसीताराम मन्दिर पहुंचते हैं।
मन्दिर के चौक में दो तरफ पर्याप्त मात्रा में पानी भरा जाता है। इस पानी में खेली जाती है डोलची मार होली। डोलची में पानी भरकर दूसरे पक्ष के लोगों पर तेजी से डाला जाता है। डोलची में भरे पानी की मार लटठ की मार के समान होती है। जिस पक्ष का पानी पहले समाप्त हो जाता है, उसकी हार मान ली जाती है।

ऐसी होती है डोलची

dolchi holi
डोलची गिलासनुमा होती है, जो नीचे से संकरी तथा ऊपर से चौड़ी होती है। यह लोहे या चमड़े की बनी होती है। जिसमें एक लकड़ी का हत्था लगा होता है। डोलची में एक से डेढ लीटर तक पानी आता है। इसमें पानी भरकर तेजी से मारा जाता है और डोलची लगने के बाद सामने वाला कराह उठने को मजबूर हो जाता है।

फिर भरता है मेला

डोलची मार होली उपरान्त लोग नहा-धोकर एवं खाना खाकर बाजार आते हैं फिर शुरू होता है मेला। आसपास के दर्जनों गांवों से आए लोगों के मनोरंजन के लिए लोग भंति-भंति के स्वांग भरते हैं। जिसका ग्रामीण भरपूर आनंद उठाते हैं। इन दिनों किसानों की फसल आती है। उस खुशी में मेले में वो जमकर खरीदारी करते हैं।

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