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अलवर

नगर निगम यहां बना सकता है कचरे से बायोगैस व बिजली

– हैदराबाद में तैयार हो रही बिजली, बायोगैस भी बन रही, इंदौर भी बिजली बनाने में आगे – रांची नगर निगम कचरे से बना रहा बायोगैस, यहां ईंटें व पाउडर बना, वह भी पूरा नहीं बिका – कचरा निस्तारण प्लांट नगर निगम चला रहा, लेकिन नहीं पकड़ रहा गति, ऊंचा होता जा रहा पहाड़ Alwar […]

अलवरMay 13, 2025 / 08:14 pm

susheel kumar

– हैदराबाद में तैयार हो रही बिजली, बायोगैस भी बन रही, इंदौर भी बिजली बनाने में आगे

– रांची नगर निगम कचरे से बना रहा बायोगैस, यहां ईंटें व पाउडर बना, वह भी पूरा नहीं बिका
– कचरा निस्तारण प्लांट नगर निगम चला रहा, लेकिन नहीं पकड़ रहा गति, ऊंचा होता जा रहा पहाड़

Alwar : देशभर के शहरों में कचरे के पहाड़ जमा हो रहे हैं। हैदराबाद व इंदौर में इस कचरे से बिजली बनाई जा रही है। वहीं रांची में बायोगैस बन रही है। यही नहीं, हैदराबाद में तो सब्जी मंडी में भी बायोगैस प्लांट लगा दिया गया है। यानी कचरे से नई संभावनाओं का जन्म हुआ है, लेकिन अलवर में कचरे से महज ईंट-पाउडर ही बनाया गया और भी नहीं बिक पा रहा है। नगर निगम कचरा निस्तारण प्लांट रेंग-रेंगकर चला रहा है। यही कारण है कि कचरे का पहाड़ लगातार ऊंचा होता जा रहा है। एक्सपर्ट नगर निगम से रिटायर्ड इंजीनियर विवेक सिंह कहते हैं कि यहां भी हैदराबाद, इंदौर व रांची मॉडल लागू हो गया तो बिजली भी बनने लगेगी और बायोगैस भी।
उदाहरण नंबर 1 : रांची में 6 हजार किग्रा बन रही बायोगैस

रांची नगर निगम ने झिरी कूड़ाडंपिंग प्लांट में कचरे के जरिए बायोगैस बनाने के लिए प्लांट शुरू कर दिया है। इसके लिए बाकायदा गेल के साथ करार किया। आठ हेक्टेयर में लगे प्लांट के अंदर ही दो आउटर गैस फिलिंग प्लांट भी बनाए गए हैं। इस पर करीब 29 करोड़ का खर्च आया। इसके लिए नगर निगम ने सभी बंदोबस्त किए। बेहतर योजना बनाई। इस प्लांट में हर दिन 170 टन गीला कचरा प्रोसेस करके 6 हजार किलोग्राम कंप्रेस्ड बायोगैस बनाई जा रही है। इसके साथ ही जैविक खाद भी तैयार हो रही है। गीला कचरा सप्लाई करने की जिम्मेदारी निगम ने ले रखी है, ऐसे में लगातार प्लांट चल रहा है और बायोगैस तैयार हो रही है। यह बायोगैस अलग-अलग सीएनजी स्टेशनों तक पहुंचाई जा रही है। गेल कंपनी भी कमा रही है और नगर निगम का खजाना भी भर रहा है।
उदाहरण नंबर 2 : हैदराबाद में कचरे से जल रही हैं स्ट्रीट लाइटें, चल रही हैं कैंटीन

हैदराबाद में खराब सब्जियों से बायोगैस बनाई जा रही है। यहां की बोवन पल्ली सब्जी मंडी 24 एकड़ में बनी हुई है। यहां इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी यानी आईआईसीटी ने बायोगैस प्लांट लगाया है। वर्ष 2020 में शुरू हुए इस प्लांट के जरिए बायोगैस बन रही है। अब दूसरी सब्जी मंडियों में भी यही प्लांट लगाए जाने की तैयारी है। बोवन पल्ली सब्जी मंडी में हर दिन 1000 यूनिट बिजली और 35 किलोग्राम बायोफ्यूल बन रहा है। इससे सब्जी मंडी ही नहीं आसपास की 150 से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें जलती हैं। साथ ही सरकारी कार्यालयों को भी बिजली मिल रही है। बायोगैस मार्केट की कैंटीन में सप्लाई हो रही है।
उदाहरण नंबर 3 : इंदौर में 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन

इंदौर में हर दिन 1500 टन से ज्यादा कचरा निकलता है। इसमें से करीब 400 से 500 टन गीला कचरा होता है, जिसे अलग करके बायोगैस बनाई जा रही है। नगर निगम का यह प्लांट काम आया। यहीं से करीब 300 टन कचरा सीमेंट फैक्टि्रयों को जा रहा है, जो ईंधन के रूप में काम आ रहा है। इसी के प्रयोग से 15 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी हो रहा है।
अलवर नगर निगम यहां तक पहुंचा

अलवर एनसीआर में आने के कारण यहां कचरे का निस्तारण जरूरी हो गया। करीब एक दशक पहले कचरा निस्तारण प्लांट अग्यारा लगाया गया। शुरूआत में दो माह प्लांट चला लेकिन बाद में बंद हो गया। इससे कचरे का पहाड़ ऊंचा होता चला गया। शहर से हर दिन 300 टन से ज्यादा कचरा निकलकर वहीं पहुंचता है। आए दिन इसमें आग लगती है। वर्तमान में नगर निगम ने इसका संचालन किया है, लेकिन प्लांट की मशीनें दौड़ नहीं पा रही हैं। कचरे से ईंध व पाउडर बनाया गया, लेकिन उसके जरिए निगम की आय नहीं हो पा रही है। जानकारों का कहना है कि एनसीआर में अलवर आने के कारण यहां संसाधन बढ़ाए जा सकते हैं। इस समय अलवर में केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव से लेकर राज्यमंत्री संजय शर्मा तक हैं। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली भी यहीं से हैं। ऐसे में इच्छाशक्ति इन सभी की जागृत हो तो यही अग्यारा स्टेशन देश के लिए नजीर बन सकता है।
अग्यारा कचरा निस्तारण प्लांट का संचालन नगर निगम कर रहा है। जल्द ही सरकार के स्तर से प्लांट चलाने वाली नई कंपनी का चयन होगा। इसकी प्रक्रिया तेजी से चल रही है। यहां कचरे से ईंट व पाउडर बन रहा है। आगे आधुनिक मशीनें लगाने की ओर कदम बढ़ाया जाएगा।
– जीतेंद्र नरूका, आयुक्त, नगर निगम

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