आई-फॉरेस्ट एजेंसी के माध्यम से 21 शहरों में फैले वायु प्रदूषण की रिपोर्ट में सामने आया है कि राजस्थान में भिवाड़ी सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड से ज्यादा मौतें तो वायु प्रदूषण के वजह से हो रही हैं। वायु प्रदूषण अदृश्य दुश्मन है, जिसकी चपेट में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक आ रहे हैं। वहीं, ग्रामीण इलाकों में हर तीसरी महिला श्वांस रोग से पीड़ित है।
ग्रामीण महिलाएं ठोस ईंधन का उपयोग करके खाना पकाती हैं। हालांकि, पीएम उज्ज्वला योजना के तहत कई परिवारों ने गैस कनेक्शन ले लिया, लेकिन फिर भी ठोस ईंधन को सस्ता और आसानी से उपलब्ध मानते हुए उसका उपयोग हो रहा है।
इसके साथ ही भारत में वायु प्रदूषण के कारण श्वसन मृत्यु दर दुनिया में सबसे अधिक है और घरेलू वायु प्रदूषण में हमारा देश नंबर वन है। राजस्थान श्वसन विकारों में अग्रणी है।
प्रदूषण का प्रमुख कारण
इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले पैनल में शामिल राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कोटा के वरिष्ठ अभियंता अमित सोनी ने बताया कि उद्योगों की संख्या में वृद्धि को रोका नहीं जा सकता है, क्योंकि शहर को विकास की आवश्यकता है। हालांकि, नियमित निरीक्षण, दंड़ और प्रदूषणकारी इकाइयों को बंद करने जैसे उपाय कुशलता से किए जा सकते हैं। सीमेंट, रासायनिक और खतरनाक कचरा प्रसंस्करण इकाइयां भिवाड़ी की सबसे प्रदूषणकारी उद्योग हैं। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए यातायात पुलिस, नगरपालिका और अन्य निकायों की कार्रवाई करने की आवश्यकता है। वायु प्रदूषण मानव के लिए घातक
इस पैनल में शामिल कोटा के पल्मोनोलॉजिस्ट और इंटेंसिविस्ट डॉ. केवल कृष्ण डांग ने बताया कि एक आम व्यक्ति को यह समझने की जरूरत है कि पीएम 2.5 मानव स्वास्थ्य पर कितना बुरा प्रभाव डालता है। यह रक्त प्रवाह में जा सकता है और मस्तिष्क, गुर्दे, हृदय सहित अंगों को प्रभावित कर सकता है।
वायु प्रदूषण कार्डियक रोगों का जोखिम 40 प्रतिशत और श्वसन रोगों का जोखिम 70 प्रतिशत बढ़ा देता है। वहीं, वायु प्रदूषण से फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज़ (सीओपीडी), श्वसन तंत्र में संक्रमण, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और दिल से जुड़ी अन्य समस्याएं, फेफड़ों का कैंसर और त्वचा कैंसर, त्वचा रोगों में जलन, खुजली और एलर्जी, मोतियाबिंद, दिमाग पर असर और अलीय वर्षा के लिए जिम्मेदार है।