बारिश की बूंद से लाल प्याज की फसल भीग गई। उनके गलने व सडने से बचाने के लिए अब खेतों पर ही कूलर व पंखे लगाकर उन्हें सुखाने का प्रयास किया जा रहा है। किसान परिवार खेतों पर ही सुबह-शाम का भोजन करने के लिए मजबूर हैं। गोवंश व वन्यजीवों से बचाने की जुगत भी करनी पड़ रही है। किसान अमर सिंह ने बताया कि मौसम में बदलाव होने के बाद बूंदाबांदी हुई है। खेतों में लाल प्याज पड़ी हुई थी, जो भीगने से खराब होने की आशंका है। इसके लिए पंखे कूलर लगाए गए। बहुत सी प्याज घरों पर लाकर रखी गई है। कोहरा व ओस के कारण लाल प्याज का रंग खराब होता है। वह सड़ने और गलने लगती है।
कोहरे से भी नुकसान गुड्डू, रामलाल, अलाऊ खान, सुबहदीन, चाहत, श्यामलाल, रामखिलाड़ी आदि ने बताया कि शुरुआती में प्याज जहां 2000 प्रति मण के हिसाब से बेचे गए, वहीं अब लाल प्याज के भाव 500 से 700 रुपए प्रति मण ही रह गए। मौसम में हुए बदलाव के बाद अब बारिश, कोहरा और ओस से लाल प्याज की गुणवत्ता, रंग पर विपरीत असर पड़ रहा है। इससे बचाना बहुत जरूरी है। मंडी में सही भाव नहीं मिलने के कारण किसानों ने लाल प्याज को खेतों में ही डाल रखा था। मौसम में बदलाव व बूंदाबांदी के चलते ट्रैक्टर-ट्राॅली में भरकर इन्हें सुरक्षित स्थान पर रखा। जहां किसान परिवार को डबल मेहनत करनी पड़ रही है। इन दिनों रात्रि में ठंड तथा ओस गिरने सेसोमवार को हुई बूंदाबांदी के बाद किसानों की चिंता और अधिक बढ़ गई। कृषि विभाग के उपनिदेशक पीसी मीणा ने बताया कि सर्दी के दिनों में सीधी बारिश से सभी फसलों में फायदा है। केवल खुले में पड़ी लाल प्याज को नुकसान है।
प्याज का रकबा रहा अधिक कृषि विभाग के सहायक कृषि अधिकारी पवन सिंह शेखावत, जितेंद्र कुमार ने बताया कि इस बार लाल प्याज की बुवाई का रकबा बहुत रहा। साहोडी, माचडी,पलकड़ी, सोहनपुर, महुआ खुर्द, बांदीपुर, अहमदपुर, परसा का बस, सारंगपुर, मानपुर, बीजवाड़ नरूका, मालिवास, बिचपुरी, मोहम्मदपुर, नांगल रटावत, केरवाड़ा, बुलंदी, बडेर, भड़कोल, जमालपुर, मुंडिया, बरखेड़ा सहित अन्य गांवों में भरपूर प्याज बोई गई थी। जहां पहले प्याज बेचने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा मिला। अब पछेती प्याज का भाव गिरने से किसान फसल को बेच नहीं रहे। उसे सुरक्षित रखना किसानों के लिए परेशानी का कारण भी बन रहा है।