करीब 20 लाख रुपये की लागत से बनाई गई इन सीढ़ियाें की राशि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मलकीत सिंह संधु द्वारा दी गई थी। इन सीढ़ियाें को बनाने का मुख्य उद्देश्य था कि करीला मेले के समय श्रद्धालु सीढ़ियों से होकर माता जानकी के मंदिर तक पहुंचकर दर्शन करेंगे, लेकिन सालों पहले बनाई गई सीढ़ियाें को एक भी बार श्रद्धालुओं के लिए नहीं खोली गई।
15-20 लाख श्रद्धालु आते हैं यहां, मेले के दौरान सीढ़ियों पर रहता है प्रतिबंध
चूंकि करीला में रंगपंचमी पर लगने वाले मेला के समय 15 से 20 लाख श्रद्धालु आते हैं। जहां इन सीढ़ियाें के जरिए दर्शन करना संभव नहीं है। इसी के चलते करीला मेला के समय सीढियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। करीला ट्रस्ट अध्यक्ष महेन्द्र सिंह यादव ने बताया की श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा होने के कारण सीढिय़ों के जरिए दर्शन करना संभव नहीं है, इसलिए हर बार मेला के समय इन पर रोक लगा दी जाती है।
सेल्फी के रुप में उपयोग होने लगीं सीढ़ियां
सीढ़ियाें का उपयोग भले ही रंगपंचमी पर लगने वाले करीला मेला में श्रद्धालुओं ने दर्शनों के लिए उपयोग नहीं किया हो, लेकिन अब करीला धाम पहुंचने वाले श्रद्धालु मोबाईल से इन सीढ़ियाें पर सेल्फी लेने में जरुर उपयोग करने लगे हैं। रंगपंचमी मेला के अलावा प्रतिदिनव प्रत्येक पूर्णिमा पर आने वाले श्रद्धालु इन सीढ़ियाें पर सेल्फी लेकर रील बनाते दिखाई देते हैं।