मेरे बेटे को कहां ले जा रहे हो…शव यात्रा में दौड़ गई शहीद की मां, तिरंगे पर फफक पड़े शशांक के पिता
Ayodhya Shashank Tiwari: अयोध्या के लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी की शव यात्रा जब घर से बाहर निकली तो उनकी मां की चीख से माहौल गमगीन हो गया। शशांक तिवारी पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके पिता को जब तिरंगा सौंपा गया तो वो फफक पड़े।
Ayodhya Martyr Lieutenant Shashank Tiwari: उत्तर प्रदेश के अयोध्या के कैंट थाना क्षेत्र के मझवां गद्दोपुर के रहने वाले जंग बहादुर तिवारी और नीता तिवारी के इकलौते बेटे शशांक तिवारी का शव जब उनके घर पहुंचा तो घर में चीख पुकार से इलाके का माहौल गमगीन हो गया। शशांक को पिछले ही साल सिक्किम में पोस्टिंग मिली थी।
शहीद शशांक तिवारी का पार्थिव शरीर जब उनके घर पंहुचा तो घर में चीख-पुकार मच गई। शशांक की मां हार्ट पेसेंट हैं और उन्हें उनकी शहादत की खबर नहीं दी गई थी। शशांक की मां ने जैसे की बेटे का पार्थिव शरीर देखा तो मानो उनके पांव टेल जमीन खिसक गई हो। जान शशांक की शव यात्रा निकाली गई तो वो यात्रा के पीछे-पीछे दौड़ पड़ी। वो कहने लगी “अरे! मेरे बेटे को कहां लेकर जा रहे हो”
गांव पंहुचा शहद का पार्थिव शरीर
शुक्रवार की शाम शहीद लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का पार्थिव शरीर विशेष विमान से अयोध्या लाया गया। उनके पार्थिव शरीर को मिलिट्री हॉस्पिटल में रखा गया था। शनिवार की सुबह 10 बजे जब मिलिट्री हॉस्पिटल से शहद का शव उनके गांव पंहुचा तो घरवालों के साथ-साथ इलाके के सभी लोगों की आंखे नाम हो गईं।
Photo Source: IANS
सुबह साढ़े 11 बजे अंतिम यात्रा पर निकले शहीद लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी
गांव से करीब डेढ़ घंटे के बाद साढ़े 11 बजे शहीद लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी अपने घर से अंतिम यात्रा पर निकल गए। उनके शव के पीछे-पीछे उनकी मां नीता दौड़ गई और कहने लगी “अरे! मेरे बेटे को कहां लेकर जा रहे हो” शशांक की बहन ने कहा कि हमार भइया काहे चला गया। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद सभी की आंखे भर आईं।
पिता ने दी मुखाग्नि
अयोध्या के जमथरा शमशान घाट पर जब शहीद शशांक का पार्थिव शरीर पंहुचा तो ‘भारत की जय’ और ‘शशांक तिवारी अमर रहे’ के उद्द्घोष से माहौल गूंज गया। मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और सेना ने उन्हें अंतिम सलामी दी। सेना के अधिकारी ने जब शशांक के पिता जंग बहादुर तिवारी को तिरंगा सौंपा तो वो फफक पड़े।
जवान को बचाने में शहीद हुए शशांक
ऑपरेशनल गश्त के दौरान गुरुवार को लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का एक अग्निवीर साथी अचानक नदी में गिर गया और तेज बहाव में बहने लगा। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए लेफ्टिनेंट शशांक ने बिना देर किए नदी में छलांग लगा दी। उन्होंने बहते हुए जवान को सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन इस बहादुरी में अपनी जान गंवा बैठे।
शशांक तिवारी अपने परिवार के इकलौते बेटे थे और उनकी अभी शादी नहीं हुई थी। 2019 में उन्होंने एनडीए में चयन हासिल किया था। पिछले वर्ष उन्हें सेना में कमीशन मिला और पहली पोस्टिंग सिक्किम में हुई। उनके पिता जंग बहादुर तिवारी मर्चेंट नेवी में कार्यरत हैं और इस समय अमेरिका में तैनात हैं। उनकी मां, नीता तिवारी, लंबे समय से हृदय रोग से पीड़ित हैं और अक्सर अस्वस्थ रहती हैं।
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