डौंडी विकासखंड इन दिनों मलेरिया जोन बना हुआ है। विकासखंड में अब तक 57 मलेरिया के
मरीज मिल चुके हैं। पीड़ितों के इलाज के लिए दवाई है, लेकिन गड्ढों में भरे पानी में छिड़काव के लिए डीडीटी दवाई और लोगों को बांटने मच्छरदारनी उपलब्ध नहीं कराई है। स्वास्थ्य विभाग ने अप्रैल में ही शासन को डीडीटी उपलब्ध कराने डिमांड भेजा है, जो उपलब्ध नहीं हो पाया है।
1.28 लाख में से 78 हजार की जांच किस विकासखंड में कितने मरीज मिले विकासखंड मलेरिया के मरीज बालोद 3 डौंडी 57 डौंडीलोहारा 13 गुरुर 15 गुंडरदेही 17
कुल मरीज 95 डौंडी विकासखंड संवेदनशील जिला मलेरिया विभाग के मुताबिक जिले में हर साल सबसे ज्यादा मलेरिया के मरीज डौंडी विकासखंड में मिलते हैं। इसे संवेदशील श्रेणी में रखा गया है। अब तक 57 मरीज मिल चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग पुरानी बची दवाई के भरोसे मच्छर नियंत्रण करने में लगा है। गड्ढों में भरे पानी में डीडीटी दवाई का छिड़काव करना है। अभी तक उपलब्ध नहीं कराया गया है। लोगों को बांटने मच्छरदानी भी उपलब्ध नहीं हुई है।
जिला मलेरिया विभाग के मुताबिक इस साल विभाग की टीम ने जिले में कुल 1 लाख 28 हजार 500 लोगों की मलेरिया जांच करने का लक्ष्य रखा है। जांच करने मात्र 10 हजार रैपिड किट मिले हैं। ऐसे में अधिकांश लोगों की जांच स्लाइड से की जा रही है। विभाग ने कुल 78 हजार 595 लोगों की मलेरिया जांच की है।
सिर्फ 10 हजार रैपिड किट भेजी जिला स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक स्वास्थ्य केंद्रों में रैपिड किट उपलब्ध नहीं थी। इसकी मांग स्वास्थ्य संचालनालय से की जा रही थी। स्वास्थ्य विभाग के सीजीएमएससी विभाग ने फरवरी में मात्र 10 हजार किट भेजा है। मलेरिया जांच रैपिड किट से की जाती है, जिसे रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट भी कहा जाता है। यह एक ऐसा उपकरण है, जिसका उपयोग मलेरिया संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है।
बालोद जिले में अब तक 78,595 लोगों की मलेरिया जांच कर चुकें हैं, जिसमें से 95 पीड़ित मिले। मच्छरदानी व डीडीटी दवाई की डिमांड शासन को भेजी गई है। जहां ज्यादा केस मिल रहे हैं, वहां विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
डॉ. जीआर रावटेजिला मलेरिया अधिकारी बालोद