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बालोद

आरटीओ, यातायात और शिक्षा विभाग नींद में, कंडम वाहनों में ठूंस-ठूंस कर भरे जा रहे स्कूली बच्चे

बालोद जिले में भविष्य गढऩे स्कूल जा रहे बच्चों की जान जोखिम में है। इससे न शिक्षा विभाग को कोई सरोकार है और न ही आरटीओ एवं यातायात विभाग को। सड़कों पर कंडम वाहन, ऑटो रिक्शा, वेन में ठूंस-ठूंस कर बच्चों को अधिक कमाई के चक्कर में स्कूल लाना-ले जाना किया जा रहा है।

बालोदJan 01, 2025 / 11:32 pm

Chandra Kishor Deshmukh

बालोद जिले में भविष्य गढऩे स्कूल जा रहे बच्चों की जान जोखिम में है। इससे न शिक्षा विभाग को कोई सरोकार है और न ही आरटीओ एवं यातायात विभाग को। सड़कों पर कंडम वाहन, ऑटो रिक्शा, वेन में ठूंस-ठूंस कर बच्चों को अधिक कमाई के चक्कर में स्कूल लाना-ले जाना किया जा रहा है।
Children’s lives in danger बालोद जिले में भविष्य गढ़नेस्कूल जा रहे बच्चों की जान जोखिम में है। इससे न शिक्षा विभाग को कोई सरोकार है और न ही आरटीओ एवं यातायात विभाग को। सड़कों पर कंडम वाहन, ऑटो रिक्शा, वेन में ठूंस-ठूंस कर बच्चों को अधिक कमाई के चक्कर में स्कूल लाना-ले जाना किया जा रहा है। लोग यह भी पता नहीं लगाते हैं कि वाहन चालक शराब का सेवन करता है या नहीं।

शराबी वाहन चालक के कारण गई बच्चे की जान

इसी लापरवाही के कारण स्कूली बच्चों से भरे वाहन दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। ताजा मामला मंगलवार को सोहपुर के पास देखने को मिला, जब शराबी वाहन चालक ने स्कूली बच्चों से भरे वाहन को तेज रफ्तार वाहन चलाते हुए पलटा दिया। इसमें एक स्कूली बच्चे की मौत हो गई थी व चार घायल हो गए थे।
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निजी ऑटो व वेन कर भेजते हैं स्कूल

शहर में स्कूल वेन व बस होते हुए भी कई पालक ऑटो एवं ई-रिक्शा लगाकर बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं। ऑटो में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जाता है। यह किसी खतरे से कम नहीं है। शिक्षा एवं परिवहन विभाग ने ऑटो एवं ई-रिक्शा में बच्चों को स्कूल नहीं भेजने के स्पष्ट निर्देश दिए हैं। कई परिजन स्कूल बस का किराया नहीं दे पाते हैं, इसलिए कम दाम पर ऑटो या ई-रिक्शा का उपयोग कराते हैं।

वाहन चालकों का लालच पर रहा भारी

ऑटो एवं ई रिक्शा चालक लालच में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाते हैं। चालक की जरा सी लापरवाही से दुर्घटना हो जाती है। ऑटो व ई-रिक्शा चालकों की बैठक लेकर यातायात नियमों के बारे में बताने की जरूरत है।

कोई जांच तक नहीं

जिले में दोपहिया वाहनों की जांच तेजी से की जा रही है। हर रोज चालान काटा जा रहा है, लेकिन ई-रिक्शा के मामले में अफसर आंखें बंद किए हुए हैं। अधिकांश ई-रिक्शा की कमान नाबालिगों के हाथों में है। रिक्शा पलटने की कई घटनाएं भी हो चुकी हैं।

स्कूल वाहन की कुछ घटनाएं

स्कूल बस को हाइवा ने मारी टक्कर, 16 बच्चे घायल

23 मार्च 2024 को जिले के भरदा गांव में सड़क हादसा हो गया था। तेज रफ्तार हाइवा ने स्कूल बस को टक्कर मार दी थी। हादसे में एक टीचर सहित 16 बच्चे घायल हो गए थे।

शराबी चालक वाहन रोककर सो गया था

18 सितंबर को एक निजी स्कूल का वाहन चालक शराब के नशे में झलमला के पास वाहन रोककर सो गया था। वाहन में स्कूली बच्चे लगभग एक घंटे तक रोते बिलखते रहे। इस घटना के बाद लोगों ने वाहन चालक की पिटाई कर दी थी।

चबूतरे से टकराई वेन, 10 बच्चे हुए थे घायल

11 जनवरी 2023 की शाम 5 बजे ग्राम खल्लारी के पास स्कूली बच्चों से भरी वेन बाजार चौक में चबूतरे से टकरा गई थी। घटना में 10 बच्चे घायल हो गए थे। इसके बाद भी सबक नहीं लिया है।

स्कूल वाहन में सुरक्षा से जुड़े ये हैं नियम

  • बस के आगे व पीछे की तरफ स्कूल बस लिखा होना चाहिए।
  • बस पीले रंग में रंगी होनी चाहिए।
  • सीटों से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए।
  • खिड़कियों पर विंडो बार (लोहे की छड़) लगा होना चाहिए।
  • फस्र्ट एड बॉक्स और अग्निशमन यंत्र होना चाहिए।
  • बस पर स्कूल का नाम व टेलीफोन नंबर लिखा होना चाहिए।
  • बस के दरवाजे पर लॉक लगा होना चाहिए।
  • बस चालक को भारी वाहन चलाने का पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए।
  • चालक के साथ एक सहायक होना चाहिए।
  • बस में कम से कम एक अध्यापक या अध्यापिका होनी चाहिए।
  • सेफ्टी बेल्ट और दो इमरजेंसी गेट होने चाहिए।
  • गति को नियंत्रित करने स्पीड अलार्म होना चाहिए।

जागरुकता अभियान चलाया जाएगा

बालोद जिला परिवहन अधिकारी प्रकाश रावटे ने कहा कि बच्चों को लाने ले जाने स्कूल बस का उपयोग किया जाना चाहिए। ऑटो व ई-रिक्शा में बच्चों को क्षमता से अधिक बैठाकर ले जा रहे है तो ये गलत है।

फिटनेस रिपोर्ट भी मांगी जाती है

जिला शिक्षा अधिकारी बालोद पीसी मरकले ने कहा कि स्कूल बस का उपयोग बच्चों को लाने ले जाने के लिए करना है। बस भी शासन की गाइडलाइन के तहत सुविधाजनक होनी चाहिए। शिक्षा विभाग समय-समय पर स्कूल बसों की जानकारी लेता है। फिटनेस रिपोर्ट भी मांगी जाती है।

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