शराब की लत से घरौंदा टूटने लगा
बालोद ब्लॉक की एक महिला का विवाह वर्ष 2016 में हुआ था। विवाह के कुछ दिनों तक दोनों ने सुखमय दाम्पत्य संबंध का निर्वहन किया। उसके बाद पति का व्यवहार बदल गया और शराब पीकर अपनी पत्नी को छोटी-छोटी बातों पर ताना मारकर शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त करता था। पत्नी अपने पति को शराब पीने से मना करती तो वह अपनी पत्नी को और अधिक गाली-गलौज करता। पति शराब की लत के कारण कई लोगों से उधारी लिया करता था। पत्नी का कहना था, कि पति के शराब सेवन के कारण उसमें शारीरिक अक्षमता आ गई थी, जिससे उनके विवाह के 7 वर्ष बाद उनको संतान प्राप्ति हुई। पति द्वारा पत्नी की परवरिश की उपेक्षा करने के कारण उसके समक्ष खाने-पीने एवं कपड़ों की समस्या उत्पन्न हो गई थी। यह भी पढ़े : विधिक सहायता के लिए निशुल्क अधिवक्ता नियुक्त
पत्नी ने अपनी बातें जिला न्यायालय में स्थित कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में बताई, जहां उसके लिए विधिक सहायता व पैरवी के लिए पंकज राजपूत को नि:शुल्क अधिवक्ता नियुक्त किया गया। पति को समंस प्राप्त होने के बाद उसके लिए भी प्राधिकरण द्वारा विधिक सहायता व पैरवी के लिए शारदा पटेल को नि:शुल्क अधिवक्ता नियुक्त किया गया।
पति शासकीय कर्मचारी, समझाइश देने पर कहा- बहुता करता हूं प्यार
पत्नी ने बताया कि उसका पति जिला अस्पताल का कर्मचारी होकर प्रतिमाह वेतन प्राप्त करता है। पति ने बताया कि वह शासकीय कर्मचारी है तथा कुछ वर्ष पहले बुरी संगति के कारण उसे शराब की लत लग गई थी, जिसे वह छोडऩा चाहता है, परंतु छोड़ नहीं पा रहा है। फिर भी छोडऩे का प्रयास कर रहा है। कुछ लोन लिये जाने के कारण उसके समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है। लोक अदालत में पति ने समझाइश के दौरान उसने कहा कि वह अपनी पत्नी व संतान को बहुत प्यार करता है तथा भविष्य में धीरे-धीरे शराब पीना छोड़ देगा व अपनी पत्नी व संतान को अच्छे से रखेगा। वहीं पत्नी का कहना था, कि उसका पति वेतन प्राप्त होते ही सभी पैसे शराब में खर्च कर देता है। तब पति को कुटुम्ब न्यायालय बालोद के न्यायाधीश योगेश पारीक ने आदेशित किया कि वह अपनी पत्नी को प्रतिमाह दो हजार रुपए और अपनी अवयस्क संतान को एक हजार रूपये प्रतिमाह बतौर उसके खर्च के लिए प्रदान करेगा। इस बात से पत्नी भी सहमत हो गई। खंडपीठ में सदस्य अधिवक्ता रोहित कुमार साहू एवं रीता पांडेय का भी योगदान रहा। यह भी पढ़े : पति की मौत पर पत्नी के 99 लाख के दावे के उलट 65 लाख रुपए देने पर बनी सहमति, 3 करोड़ 43 लाख 41 हजार 463 रुपए की राशि का अवार्ड पारित किया गया
शनिवार को जिले के सभी न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया, जिनमें राजीनामा योग्य प्रकरणों में पक्षकारों की आपसी सहमति व सुलह समझौता से निराकृत किए गए। नेशनल लोक अदालत में 3 करोड़ 43 लाख 41 हजार 463 रुपए की राशि का अवार्ड पारित किया गया। प्रधान जिला व सत्र न्यायालय बालोद, व्यवहार न्यायालय स्तर पर डौंडीलोहारा, दल्लीराजहरा, गुंडरदेही व जिले के राजस्व न्यायालयों में भी नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्याम लाल नवरत्न बालोद के निर्देशानुसार इस लोक अदालत के लिए न्यायालयों में कुल 9 खंडपीठ का गठन किया गया, जिसमें कुल 2500 लंबित प्रकरण रखे गए थे, जिसमें कुल 2420 लंबित प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत के माध्यम से किया गया।
29470 प्रकरणों का निराकरण किया गया
लोक अदालत में लंबित सिविल एवं दांडिक प्रकरण, प्री-लिटिगेशन के बैंक, विद्युत, जलकर, बीएसएनएल के तथा राजस्व न्यायालयों की खंडपीठ के समक्ष कुल 35042 प्रकरण रखे गए, जिनमें 29470 प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत के माध्यम से किया गया। इस नेशनल लोक अदालत में आपसी सहमति व सुलह समझौता करने वालों पक्षकारों को प्रोत्साहन स्वरूप पौधा वितरण भी किया गया। नेशनल लोक अदालत में जिला न्यायालय परिसर में आए पक्षकारों का नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। इस नेशनल लोक अदालत में बालोद बाजार के द्वारा स्टॉल लगाया गया।
65 लाख रुपए की राशि का अवार्ड किया पारित
नेशनल लोक अदालत में प्रधान जिला न्यायाधीश के द्वारा 65 लाख रुपए की राशि का अवार्ड पारित किया गया। आवेदिका कुसुम साहू के पति संजय कुमार की मोटर सायकल से ठोकर लगने से दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद आवेदिका के न्यायालय के समक्ष क्षतिपूर्ति राशि 99 लाख 50 हजार रुपए प्राप्त करने के लिए अनावेदकगण के विरूद्ध आवेदन प्रस्तुत किया गया था। नेशनल लोक अदालत में उभय पक्षकारों के मध्य स्वेच्छापूर्वक आपसी सहमति से हुए राजीनामा में बीमा कंपनी ने क्षतिपूर्ति 65 लाख रुपए देने सहमति हुई।