किसान की सेहत को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि 24 घंटे तक कुछ कहा नहीं जा सकता। बेटे की हालत स्थिर है। उसने बताया कि मामले में जान-बूझकर लेटलतीफी को लेकर पिता ने मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री से अफसरों की शिकायत की थी। इससे नाराज अफसर ने बुधवार को उन्हें पेशी से फटकारते हुए बाहर भगा दिया। इस अपमान से व्यथीत होकर उसके पिता ने पहले खुद जहर पिया। फिर बेटे के मुंह में भी उड़ेल दिया।
जानें पूरा मामला
मामला बुड़गहन गांव का है। यहां रहने वाले 67 साल के किसान हीरालाल साहू बुधवार को अपने 35 वर्षीय बेटे मालिकराम के साथ तहसील पहुंचे थे। मालिक ने बताया कि गांव में खसरा नंबर 1880 में करीब 52 डिसमिल जमीन उनके दादा के नाम पर दर्ज है। इस जमीन पर किसी और का कब्जा है। अपनी संपत्ति से दूसरों का कब्जा हटवाते हुए खुद काबिज होने के लिए उन्होंने तहसीलदार को आवेदन किया था। बेटे का आरोप है कि तहसीलदार समेत अन्य अफसरों का दूसरे पक्ष की ओर झुकाव अधिक है। इसी वजह से वे लगातार इस मामले में टाल-मटोल की कोशिशें करते रहे। तंग आकर पिता ने मुख्यमंत्री और मंत्री से शिकायत की थी। बुधवार को उनकी पेशी थे। बेटे के बताए मुताबिक यहां तहसीलदार कुणाल सरवैया ने उसके पिता को सबके सामने ऊंगली दिखाते हुए कहा… तुम हमारी मुख्यमंत्री, मंत्री से शिकायत करते हो। कोई कुछ नहीं करेगा। इस तरह डांटते हुए उन्हें भागने के लिए कहा।
अपनों के सामने किया अपमान, भगाने के लिए पुलिस भी बुलाई
मालिक ने बताया कि उनकी बहन मालती और दोस्त तुकेश पाल भी तहसील आए थे। अफसर ने इन सबके सामने पिता को अपमानित किया। इस वजह से वे बहुत ज्यादा दुखी हो गए थे। अफसर ने पुलिस बुलाकर भगाने की धमकी दी। अगले ही पल पुलिस की गाड़ी तहसील पहुंच गई। वे हमारे करीब आ रहे थे, इससे पहले पिता ने जेब में रखा कीटनाशक निकालकर पी लिया। मुझे भी पिलाने की कोशिश की। मैंने नहीं पिया, फिर भी कुछ बूंदे अंदर चली गई। इस वजह से चक्कर और उल्टी आई। उसने कहा कि अफसरों के बुरे और अन्यायपूर्ण रवैये से तंग आकर उसके पिता ने यह कदम उठाया।
माता-पिता से पहले मारपीट शिकायत की, कुछ नहीं हुआ
किसान के बेटे ने बताया कि जमीन के मामले में उसके पिता पर विरोधी पक्ष की ओर से माता-पिता के साथ पहले मारपीट की जा चुकी है। न्यायालय में इसकी जानकारी भी दी गई थी। बेटे का आरोप है कि तहसीलदार ने उनकी समस्या का निराकरण करने की जगह न केवल पेशी के नाम पर उनसे तहसील के चक्कर लगवाए, बल्कि प्रक्रिया को सुस्त और जटिल बनाकर और उल्टी-सीधी बातें कहते हुए पूरे परिवार को मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया है। उसने बताया कि एक अन्य मामले में भी उनकी जमीन अवैध तरीके से बेच दी गई। उस पर भी तहसील से उन्हें न्याय नहीं मिला। इन सभी बातों के चलते वे काफी वयथीत थे।
कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश
किसान द्वारा खुदकुशी की कोशिश की जानकारी मिलने पर कलेक्टर दीपक सोनी जिला अस्पताल बलौदाबाजार मे इलाज के लिजए भर्ती किसान हीरालाल साहु से मिलने पहुंचे। उन्होंने किसान एवं उनके परिजनों से मिलकर स्वास्थ्य की जानकारी ली। कलेक्टर ने हीरालाल की बेहतर इलाज सुनिश्चित कराने कहा है। सोनी ने बताया कि घटना के बारे मे जांच कर तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत करने के लिए सिमगा एसडीएम को आदेशित किया गया है।
कांग्रेस ने परिजन से मिलकर सरकार, अफसरों को कोसा
घटना की जानकारी मिलने पर ब्लॉक कांग्रेस के अध्यक्ष भुवनेश्वर वर्मा ने पूर्व समिति अध्यक्ष संतोष चंद्राकर के साथ स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में किसान के परिजनों से मिले। किसान की सेहत को लेकर डॉक्टरों से चर्चा की। उनसे किसान को बेहतर इलाज करने की बात भी कही। वहीं कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हितेंद्र ठाकुर का इस मामले पर कहना है कि टंकराम वर्मा इसी क्षेत्र से विधायक चुनकर आज प्रदेश में राजस्व मंत्री बने हैं। उनके क्षेत्र के किसान का इस तरह
आत्महत्या के लिए मजबूर होना बलौदाबाजार के लिए दुर्भाग्य की बात है। हकीकत ये है कि भाजपा के राज में अफसरों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है। बेकाबू अफसर मनमाने तरीके से लोगों को परेशान कर रहे हैं। इस वजह से हमारे अन्नदात आज खुदकुशी के लिए विवश हो रहे हैं। एक दिन पहले ही महासमुंद जिले के झलप में भी एक किसान ने सरकार की योजना फेल होने के चलते फांसी पर लटककर जान दी है।
ऐसा कुछ नहीं, बेवजह दबाव बना रहे: सरवैया
वहीं, इस पूरे प्रकरण में किसान के बेटे के आरोपों को नकारते हुए तहसीलदार कुणाल सरवैया ने कहा कि किसान की ओर से उन पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा था। किसान चाह रहा था कि उसे तत्काल कब्जा दिलवाया जाए। ऐसा संभव नहीं है। उच्चाधिकारियों को मामले की जानकारी दे दी है।