कर्नाटक माइक्रो फाइनेंस (जबरदस्ती कार्रवाई की रोकथाम) अध्यादेश को कम से कम आठ बार संशोधित करने के बाद अंतिम रूप दिया गया है। कानून मंत्री एच.के. पाटिल, राजस्व मंत्री कृष्ण बैरेगौड़ा, मुख्य सचिव शालिनी रजनीश और अन्य शीर्ष अधिकारियों की शनिवार को हुई बैठक के दौरान मसौदे को अंतिम रूप दिया गया।
पाटिल ने कहा कि अधिकारियों के मसौदे में तकनीकी कठिनाइयों की पहचान करने के बाद अध्यादेश को अंतिम रूप दिया गया। उन्होंने कहा कि अब इसे मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या को भेजा जाएगा। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि अधिकारियों को ऋण वितरण विवरणों को ट्रैक करने और अपडेट करने, पारदर्शिता सुनिश्चित करने, गरीबों को ऋण चक्र में फंसने से बचाने और अधिक ऋण बांटने पर रोक लगाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाने का निर्देश दिया गया है।
प्रत्येक जिले में एक लोकपाल नियुक्त किया जाएगा, जो माइक्रोफाइनेंस संचालन की देखरेख करेगा। विशेष रूप से, सरकार माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को ऋण के लिए संपार्श्विक (बंधक) में संपत्ति या मूल्यवान वस्तुएं लेने से रोकना चाहती है। प्रस्तावित कानून ऋण चुकाने में चूक करने वाले उधारकर्ताओं को परेशान करने के लिए बिचौलियों के उपयोग पर कड़े प्रतिबंध भी लगा सकता है।
राजस्व मंत्री बैरेगौड़ा ने बताया कि अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि ब्याज दरें पारदर्शी हों और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नियमों का अनुपालन करें। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इन प्रमुख पहलुओं को कानूनी ढांचे में शामिल करने का निर्देश दिया गया है।
उन्होंने केंद्र सरकार की इस बात के लिए आलोचना की कि वह इस पर आंखें मूंद रही है, क्योंकि माइक्रोफाइनेंस उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। उन्होंने कहा, केंद्र क्या कर रहा है? जबकि राज्य सरकार के पास अधिकार नहीं हैं, फिर भी हम लोगों की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं। एक सप्ताह के समय में अध्यादेश तैयार करना कोई मजाक नहीं है।हर पहलू की जांच-परख: परमेश्वर
उधर, गृह मंत्री डॉ. जी परमेश्वर ने रविवार को कहा कि कर्जदारों को खतरनाक माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से बचाने के लिए मसौदा विधेयक पर गहन विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने कहा कि विधेयक को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि यह कानूनी जांच से भी गुजर सके। परमेश्वर ने कहा, हम विधेयक में कुछ जोड़-घटाव कर रहे हैं ताकि यह कानून के दायरे में फिट हो सके क्योंकि एक बार विधेयक तैयार हो जाने के बाद इसे अदालत द्वारा रोका नहीं जाना चाहिए।
अनिवार्य होगा पंजीकरण, देना होगा ऋण कार्ड
मसौदे के अनुसार सभी एमएफआई को कानून लागू होने के 30 दिनों के भीतर पंजीकरण प्राधिकरण (जिलाधिकारी) के पास अपने संचालन, लगाए जा रहे ब्याज दर और ऋण वसूली की प्रणाली के बारे में विवरण निर्दिष्ट करके पंजीकरण करना आवश्यक है। एमएफआई को उधारकर्ताओं को ऋण कार्ड जारी करने चाहिए, जिसमें उधारकर्ता द्वारा समझी जाने वाली स्थानीय भाषा में सभी विवरण हों। प्रस्तावित अध्यादेश के प्रावधान के उल्लंघन के बारे में पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की जा सकती है। किसी भी पुलिस अधिकारी को मामला दर्ज करने से इनकार नहीं करना चाहिए। प्रस्तावित अध्यादेश के अनुसार उप पुलिस अधीक्षक के पद से नीचे के किसी पुलिस अधिकारी को स्वप्रेरणा से मामला दर्ज करने का अधिकार होना चाहिए।