चिकित्सा शिक्षा विभाग के मुख्य लेखा अधिकारी डॉ. विष्णुप्रसाद एम की शिकायत के अनुसार एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें 19 सितंबर, 2020 से 15 जून, 2021 तक एन95 मास्क, पीपीई किट और अन्य उपकरणों की खरीद में बड़े पैमाने पर हेराफेरी का आरोप लगाया गया है।
शिकायत में कहा गया है कि इस अवधि में अनियमितताएं हुईं और सरकारी खजाने को 167 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, जब बी.एस. येडियूरप्पा मुख्यमंत्री थे और बी. श्रीरामुलू व डॉ. के. सुधाकर स्वास्थ्य मंत्री थे।
एफआईआर कर्नाटक पारदर्शिता सार्वजनिक खरीद अधिनियम की धारा 23, आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 409 (लोक सेवक के आपराधिक विश्वासघात) के तहत दर्ज की गई है।
इस मामले में 8 आरोपियों को नामजद किया गया है। एफआईआर में बताया गया है कि कैसे सरकार ने 41.35 करोड़ रुपए के 2.59 लाख एन95 मास्क और इतनी ही मात्रा में पीपीई किट की खरीद को मंजूरी दी और इन्हें 17 मेडिकल शिक्षा कॉलेजों और 1 सुपर-स्पेशिलिटी अस्पताल में वितरित करने का आदेश पारित किया गया। लेकिन एक अन्य बोली में 3 निजी कंपनियों ने चिकित्सा उपकरण की आपूर्ति के लिए भाग लिया, जबकि कॉलेजों और सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल को उपरोक्त आदेश पूरा होने का कोई सबूत नहीं था।
डॉ. विष्णुप्रसाद की शिकायत में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने राजनेताओं और निजी कंपनियों के साथ मिलीभगत करके नियमों के विपरीत 203.66 करोड़ रुपए की 15.51 लाख पीपीई किट और 9.75 करोड़ रुपए की 42.15 लाख एन-95 मास्क की खरीद की।
कथित तौर पर विभाग ने सरकार की आवश्यक अनुमति के बिना निर्दिष्ट समय अवधि के दौरान पीपीई किट और एन-95 मास्क के लिए पांच और ऑर्डर दिए।
सरकार ने अगस्त में न्यायाधीश जॉन माइकल डी’ कुन्हा आयोग की अंतरिम रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार घोटाले की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) के स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में जल्द ही विशेष जांच दज (एसआइटी) गठित करने की संभावना है। मंत्रिमंडल की बैठक में एसआइटी के गठन का निर्णय लिया गया था।